________________ श्रामदुत्तराष्पयनसूत्रम् / अध्ययनं 36 ] [ 113 य, नीया तम्बगाइया // 141 // इइ चउरिन्दिया एए, गहा एवमाययो / लोगस्स एग देसंमि, ते सव्वे परिकित्तिया // 150 // संतई पप्पऽणाईया, अपजवसियावि य / ठिई पडुन साईया, सपजवसियावि य // 151 // छच्चेव य मासाऊ, उक्कोसेण वियाहिया / चउरिन्दिय-ग्राउठिई, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं // 152 // संखिन्जकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / चउरिन्दियकायठिई, तं कायं तु अमुचयो // 153 // श्रान्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / विजमि सए काए, यन्तरेयं वियाहियं // 154 // एएसिं वराणयो चेव, गंधयो रसफासयो। संठाणादेसो वावि, विहाणाई सहस्ससो॥ 155 // पंचिदिया उ जे जीवा, चउन्विहा ते वियाहिया / नेरइय तिखिखा य, मणुया देवा य श्राहिया // 156 // नेरइया सत्तविहा, पुढवीसू सत्तसू भवे / रयणाभ सकराभा, वालुयामा य ग्राहिया // 157 // पंकामा धुमाभा, तना तमतमा तहा / इइ नेरइया एए, सत्तहा परिकित्तिया // 158 // लोगत्स एगदेसम्मि, ते सव्वे उ वियाहिया / इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छ चउब्विहं // 15 // संतई पप्पऽणाईया. अपजवसिया वि य / ठिइं पडुच्च साईया, सपजवसियावि य / / 160 // सागरोवममेगं तु, उकोसेण वियाहिया / पढमाइ जहन्नेणं, दसवास-सहस्सिया // 161 // निराणेव सागराऊ, उकासेण वियाहिया / दुचाए जहन्नेणं, एगं तु सागरोवमै // 162 // सत्तेव सागराऊ, उक्कोसेण वियाहिया / तई. याए जहन्नेणं, तिन्नेव उ सागरोवमा // 163 // दससागरोवमाऊ, उक्को सेण वियाहिया। चउत्थीइ जहन्नेणं, सत्तेव उ सागरोवमा // 164 // सत्तरससागराऊ, उक्कोसेण वियाहिया / पंचमाए जहन्नेणं, दस चेव उ सागरा // 165 // बावीससागराऊ, उक्कोसेण वियाहिया / छठ्ठीइ जहन्नेणं, सत्तरस सागरोवमा // 166 // तित्तीमसागराऊ, उक्कोसेंण वियाहिया / सत्तमाए जहन्नेणं, बायोसं सागरोपमा // 167 // जा चेव उ अाउठिई, नेरइयाणं