________________ 142.1 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमी विभागः सब्बे, न सम्बत्थ वियाहिया // 131 // संतई पप्पणाईया, अपज्जवसिया वि य। टिइ पडुच्च साईया, सपजवसियावि य // 132 // वासाई बारसेव उ उकोसेण वियाहिया। बेइन्दिय-याउठिई, अन्तोमुहुतं जहन्नयं // 133 // संखिजकाल-मुक्कोसा, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / बेइन्दियकायठिई. तं कायं तु अमुचयो // 134 // अणन्तकालमुक्कोस, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / बेइन्दियजीवाणं, अन्तरेयं वियाहियं // 135 // एएसिं वराणयो चेव, गन्धयो रसफासयो / संठाणादेसभोवावि. विहाणाई सहस्ससो // 136 // तेइन्दिया य जे जीवा, दुविहा ते पकित्तिया / पजत्तमपजत्ता, तेसिं भेए सुोह में // 137 / / कुन्थु पिवीलि-उद्दसा, उक्कलुद्दोहिया तहा / तणहारा कट्टहारा य, मालूगा पत्तहारगा // 138 // कप्पासिऽट्टिमिंजा य, तिंदुगा तउसमिजगा। सदावरी य गुम्मी य, बोद्धव्वा इन्दगाइय // 136 // इन्दगोव समाईया, णेगहा एवमाययो / लोएगेदेस ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया // 140 // संतई पप्पऽणाईया, अपज्जवसियावि य। ठिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य॥ 141 // एगणवन्नऽहोरत्ता, उक्कोसेण वियाहिया। तेइन्दिय थाउठिई, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं // 142 // संखिज्जकालमुक्कोसा, अन्तो. मुहुत्तं जहन्नयं / तेइन्दियकायठिई, तं कायं तु अमुचयो // 143 // अणन्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / तेइन्दियजीवाणां, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं // 144 // एएसिं वराणो चेव, गन्धयो रसफासयो। संठाणादेसश्रो वावि, विहाणाई सहस्ससो // 145 // चरिंदिया उ जे जीवा, दुविहा ते पकित्तिया / पज्जत्तमपज्जत्ता, तेसिं भेए सुणेह मे // 146 // अन्धिया पुत्तिया चेव, मच्छिया मसगा तहा / भमरे कीडपयंगे य, टिंकणे कुंकणे तहा // 147 // कुक्कडे सिंगिरीडी य, नन्दावत्ते य विच्छिए / डोले भिंगिरीडियो, विरिली अच्छिवेहए // 148 // अच्छिरे माहले अच्छि (रोडए), विचित्ते चित्तपत्तए / योहिंजलिया जलकारी