________________ भीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् : अध्ययनं 36 ]. [111 चउब्विहं // 112 // संतई पप्पणाईया, अपज्जवसियावि य। ठिई पडुच्च साईया, सपजवसियावि य // 113 // तिन्नेव अहोरत्ता, उकोसेण वियाहिया / अाउठिई तेऊणं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं // 114 // असंखकालमुक्कोसा, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / कायठिई तेऊणं, तं कायं तु अमुचो // 115 // अणन्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / विजदंमि सए काए, तेउजीवाण अन्तरं // 116 // एएसिं वराणो चेव, रन्धयो रसफासयो / संगणादेसयो वावि, विहाणाई सहस्ससो॥ 117 // दुविहा वाउजीवा य, सुहुमा बायरा तहा। पजत्तमपजत्ता एवमेव दुहा पुणो // 118 // बावरा जे उ पज्जत्ता, पंचहा ते पकित्तिया / उकलिया मंडलिया, घणगुजा सुद्धवाया य // 111 // संवट्टगवाए य, णेगहा एवमाययो / एगविहमणाणत्ता, सुहुमा तत्थ वियराहिया // 120 // सुहुमा सव्वलोगम्मि, लोगदेसे य बायरा / इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउन्विहं // 121 // संतई पप्पऽणाईया, अपजबमियावि य / ठिइं पडुच्च साईया, सपजवसियावि य // 122 // तिन्नेव सहस्साई, वासाणुकोसिया भवे / पाउठिई वाउणं, अन्तोमुहुत्तं जह. नयं // 123 // असंखकालमुक्कोसा, अन्तोमुहृत्तं जहन्नयं / कायठिई वाऊणं तं कायं तु अमुचयो / 124 // अणन्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / विजमि सए काए, वाउजीवाण अन्तरं // 125 // एएसिं वनश्रो चेव, गन्धयो रसफासयो / संठाणादेसश्रो वावि, विहाणाईसहस्ससो // 126 // अोराला तसा जे उ, चउहा ते पकित्तिया। बेइन्दिय-तेइन्दिय-चउरो-पंचिन्दिया चेव // 127 // बेइन्दिया उ जे जीवा, दुविहा ते पकित्तिया / पजत्तमपज्जत्ता, तेसिं भेए सुणेह मे // 128 // किमिणो सोमंगला चेव, अलसा माइवाहया। वासीमुहा य सिप्पीया, संखा संखणगा तहा // 12 // पलोयाणुल्लया चेव, तहेव य वराडगा। जलूगा जालगा चेव, चन्दणा य तहेर य // 130 // इति बेइन्दिया एए, णेगहा एवमाययो / लोएगदेसे ते