________________ 19.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // त्रयोदशमो विभाग उ, गहा ते पकित्तिया (बारसविहभेएणं पत्तेया उ वियाहिया)। रुक्खा गुच्छा य गुम्मा य, लया वल्ली तणा तहा // 15 // वलय पव्वया कुहणा, जलरुहा श्रोसही तिणा। हरियकाया उ बोद्धबा, पत्तेया इति ग्राहिया // 16 // साहारणसरीराउ, गहा ते पकित्तिया। बालुए मूलए चेव, सिंगबेरे तहेव य // 17 // हिरिली सिरिली सिस्सिरीली जावई केयकंदली / पलंडु-लसण-कंदे य, कन्दली य कुहब्बए // 18 // लोहिणीहू य थीहू य, तु(कु)हगा य तहेव य। काहे य वजकन्दे य, कन्दे सूरणए तहा // 11 // अस्सकनी य बोद्धव्वा, सीहकनी तहेव य। मुसुंढी यहलिंदा य, गहा एवमाययो॥१००॥ एगविह-मणाणत्ता, सुहुमा तत्थ वियाहिया। सुहुमा सव्वलोगम्मि, लोगदेसे य बायरा // 101 / / संतई पप्पऽणाईया अपजवसिपावि य। ठिइं पडुन साईया, सपजयसियावि य // 102 / / दस चेव सहस्लाई, वासाणुकोसिया भवे / वणलाईण ग्राउं तु, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं // 103 // अणन्तकाल-मुकोसा, अन्तोमुहृत्तं जहन्नयं / कायठिई पणगाणं, तं कायं तु अमुचयो॥१०४॥ असंखकाल-मुकोसा, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / विजदंमि सए काए, पणगजीवाण अन्तरं // 105 // एएलि वराणो चेव, गन्धयो रसफासयो। संठाणादेसथो वावि, विहाणाई सहस्ससो // 106 // इच्चेए थावरा तिविहा, समासेण वियाहिया / इत्तो उ तसे तिविहे, बुन्छामि अणुपुव्वसो // 107 // तेऊ वाऊ य बोद्धव्वा, श्रीराला य तसा तहा / इच्चेए तसा तिविहा, तेसिं भेए सुणेह मे॥१०८।। दुविहा तेउजीवा उ, सुहुमा बायरा तहा / पजत्तमाजत्ता, एवमेव दुहा पुणो // 101 // बायरा जे उ पजता, णेगहा ते वियाहिया। इंगाले मुम्मुरे अगणी, अचिं जाला तहेव य // 110 // उक्का विज्जू य बोद्धव्वा, णेगहा एवमाययो। एगविह-मनाणत्ता, सुहुमा ते वियाहिया // 111 // सुहुमा सबलोगम्मि, लोगदेसे य बायरा / इत्तो कालविभागं तु, तेसिं बुच्छं