________________ श्रीमदुत्तराध्यवनदनम् अध्ययनं 36 ] [ 186 भुयमोयग-इन्दनीले य / / 76 // चन्दण गेरुय-हंसगभ, पुलए सोगन्धिए य बोद्धव्वे / चन्दप्पभ-वेरुलिए, जलकन्ते सूरकन्ते य // 77 // एए खरपुढवीए, भेया छत्तीसमाहिया। एगविहमनाणत्ता, सुहुमा तत्थ वियाहिया // 78 // सुहुमा य सव्वलोगम्मि, लोगदेसे य बायरा / एत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छ चउविहं // 71 // संतई पप्पऽणाईया, अपज्जवसियावि य। ठिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य // 80 // बावीससहस्साई, वासाणुकोसिया भवे / बाउठिई पुढवीणं, अन्तोमुहुत्तं जहनिया // 1 // असंखकालमुकोसा, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / कायठिई पुढवीणं, तं कायं तु यमुचयो / 82 / अणन्तकाल-मुकोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / विजलुमि सए काए, पुढविजीवाण अन्तरं // 83 // एएसिं वराणथो चेव, गन्धयो रसफामयो / संगणादेसश्रो वावि, विहाणाई सहस्ससो // 84 // दुविहा थाउजीवा उ, सुहुमा बायरा तहा। पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेव दुहा पुणो // 85 // बायरा जे उ पज्जत्ता, पंचहा ते पकित्तिया। सुद्धोदए य उस्से हरतणु महिया हिमे // 86 // एगविहमनाणत्ता, सुहुमा तत्थ वियाहिया। सुहुमा सव्वलोगम्मि, लोगदेसे य बायरा // 87 // सन्तइं पप्पणाईया, अपज्जवसिया वि य। टिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य // 8 // सत्तेव सहस्साई, वासाणुकोसिया भवे / पाउठिई श्राऊणं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं // 81 // असंखकालमुक्कोसा, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / काठिई ग्राऊणं, तं कायं तु अमुचयो // 10 // अणन्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / विजदंमि सए काए, भाउजीवाण अन्तरं // 11 // एएसिं वराणयो चेव, गन्धो रसफामयो। संठाणादेसो वावि, विहाणाई सहस्ससो // 12 // दुविहा वणम्सईजीवा, सुहुमा बायरा तहा। पज्जत्तमप. जत्ता, एवमेव दुहा पुणो // 13 // बायरा जे उ पज्जत्ता, दुविहा ते वियाहिया। साहारणसरीरा य, पत्तेगा य तहेव य // 14 // पत्तेयसरीरा