________________ 195] [ बीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो विभाग: वियाहिया / सा तेसिं कायठिई, जहन्नुकोसिया भवे // 168 // अणन्तकालमुक्कोस, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं / विजदंमि सए काए, नेरइयाणं तु अंतरं // 16 // एएसिं वरणश्रो चेव, गन्धयो रसफासयो / संगणादेसयो वावि, विहाणाई सहस्ससो // 17 // पंचिन्दिय-तिरिक्खाउ, दुविहा ते वियाहिया। समुच्छिम-तिरिक्खाउ, गब्भववकंतिया तहा // 171 / / दुविहावि ते भवे तिविहा, जलयरा थलयरा तहा / खहयरा य बोद्धव्वा, तेसि भेए सुणह मे // 172 // मच्छा य कच्छभा य, गाहा य मगरा तहा। सुसुमारा य बोद्धव्वा, पंचहा जलयराऽहिया // 173 // लोए गदेसे ते सवे, न सम्वत्थ वियाहिया / इत्तो काल विभागं तु, तेसिं वुच्छं चउन्विहं // 174 // संतई पप्पऽणाईया, अपजवसियावि य / ठिई पडुच्च साईया, सपजवसियावि य // 175 // इक्काय पुब्धकोडीथो, उक्कोसेण वियाहिया। श्राउठिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं // 176 // पुवकोडि-पुहुत्तं तु, उकोसेण वियाहिया / काठिई जलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं // 177 // अणंतकालमुकोसं, यंतोमुहत्तं जहन्नयं / विजटॅमि सए काए, जलयराणं तु अंतरं // 178 // (एएसि वनो चेव, गंधयो रसफासयो / संठाणभेदयो वावि, विहाणाई सहस्ससो।) चउप्पया य परिसप्पा, दुविहा थलयरा भवे / चउप्पया चरविहा उ, ते मे कित्तययो सुण // 176 // एगखुरा दुखुरा चेव, गंडीपय सणप्फया / हयमाई गोणमाई, गयमाई सीहमाइणो // 18 // भुयोरगपरिसप्पा, परिसप्पा दुविहा भवे / गोहाई अहिमाईया, इविका णेगहा भवे // 181 // लोएगदेसे ते सव्वे, न सम्वत्थ वियाहिया / इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउब्विहं // 182 // संतई पप्पऽणाईया, अपजवसियावि य / ठिई पडुच्च साईया, सपजवसियावि य // 183 // पलियोवमा उ तिन्नि उ, उक्कोसेण वियाहिया / बाउठिई थलयराणं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं // 184 // पलिग्रोवमाउ तिन्निउ, उक्कोसेण वियाहिया। पुवको