________________ श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् / / अध्ययन 23 ] . [ 14 कहसु गोयमा ! // 61 // अण्णवंती महोहंसी, नावा विपरिधावई / जसि गोयममारूढो, कहं पारं गमिस्तसि ? // 70 // जा उ अस्सा(सस्सा)विणी नावा, न सा पारस्स गाणिमी / जा निरस्साविणी नावा, सा उ पारस्स गामिणी // 71 // नावा य इइ का वुत्ता ? केसी गोयममबवी / तयो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमबवी // 72 // सरीरमाहु नावत्ति, जीवो वुच्चइ नावियो / समारो अण्णवो वुत्तो, जं तरन्ति महेसिणो // 73 // साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसश्रो इमो / अन्नोऽवि संसयो मज्झ, तं मे कहसु गोयमा ! // 74 // अन्धयारे तमो घोरे, चिट्ठन्ति पाणिणो बहू / को करिस्मइ उज्जोयं सबलोगंमि पाणिणं ? // 75 // उग्गयो विमलो भाणू, सव्वलोगपभंकरो / सो करिस्सइ उज्जोयं, सबलोगंमि पाणिणं // 76 // भाणू य इति के वुत्ते ?, केसी गोयममब्बवी / तयो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी // 77 // उग्गयो खीणसंसारो, सव्वन्नू जिगभक्खरो। सो करिस्सइ उज्जोयं, सबलोगंमि पाणिणं // 78 // साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसयो इमो / अन्नोऽवि संसयो मझ, तं मे कहसु गोयमा ! // 79 // सारीरमाणसे दुक्खे, बज्झमाणाण पाणिणं / खेमं सिवमणाबाह, ठाणं किं मन्नसी मुणी ! ? // 80 // अत्थि एगं धुवं ठाणं, लोगग्गंमि दुरारुहं / जत्थ नत्थि जरा मच्चू, वाहिणो वेयणा तहा // 81 // ठाणे य इइ के वुत्ते ?, केसी गोयममबवी / तयो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बबी // 82 // निव्वाणं ति अबाहंति, सिद्धी लोगग्गमेव य / खेमं सिवं अणावाहं, जं तरन्ति महेसिणो // 83 // तं गणं सासयं वासं, लोगगंमि दुरारुहं / जं संपत्ता न सोयन्ति, भवोहन्तकरा मुणी // 84 // साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसश्रो इमो / नमो ते संसयाईय ! सव्वसुत्तमहोयही ! // 85 // एवं तु संसए छिन्ने, केसी घोर. परकमे / अभिवन्दित्ता सिरसा, गोयमं तु महायसं // 86 // पंचमहव्वयं