________________ 144 ] [ श्रीमंदार्गमसुंधासिन्धुः त्रयोदशमो विमामा सययं तेउ (देहि) (तं तु) सित्ता नो व डहति मे // 51 // अग्गी य इइ के वुत्ने ?, केसी गोयममब्बवी / तयो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी // 52 // कसाया अग्गिणो वुता, सुयसीलतवो जलं / सुयधारा-भिहया संता भिन्ना हु न डहति मे // 53 // साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसश्रो इमो। अनोऽवि संसयो मज्झ, तं मे कहसु गोयमा!॥५४॥ अयं साहस्सियो भीमो, दुट्ठस्सो परिधावई। जसि गोयम ! अारूढो, कहं तेण न हीरसि?॥५५॥ पहावंतं निगिराहामि, सुयरस्सी-समाहियं / न मे गच्छइ उम्मग्गं, मग्गं च पडिवजई // 56 // अस्से य इइ के वुत्ते ?, केसी गोयममबयो / तयो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बबी // 47 // मणो साहस्तियो भीमो, दुट्ठस्तो परिधावइ / तं सम्मं तु निगिराहामि, धम्मसिक्खाइ कन्यगं // 58 // साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसश्रो इमो। अन्नोऽवि संमयो मज्झ, तं मे कहसु गोयमा ! // 56 // कुप्पहा बहवे लोए, जेसि नासंति जंतुणो / श्रद्धाणे कह वट्टतो तं न नाससि गोयमा ! ? // 60 // जे य मग्गेण गच्छन्ति, जे य उम्मग्गपट्ठिया / ते सो विइया मज्झ, तो न नस्सामहं मुणी ! // 61 // मग्गे य इइ के वुत्ते !, केसी गोयममबवी / तयो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी // 62 // कुप्पवयण-पासंडी, सब्बै उम्मग्गपट्ठिया / सम्मग्गं तु जिणक्खायं, एस मग्गे हि उत्तमे // 63 // साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसश्रो इमो / अन्नोऽवि संसपो मज्झ, तं मे कहसु गोयमा ! // 64 // महाउदगवेगेणं, वुझमाणाण पाणिणं / सरणं गई पइ8 च, दीवं कं मन्नसी ? मुणी ! // 65 // अत्थि एगो महादीवो, वारिमज्झे महालयो / महाउदगवेगस्स, गई तत्थ न विजई ॥६६॥दीवे यइइ के वुत्ते?, केसी गोयममबवी। तयो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी // 67 // जरामरणवेगेणं, वुझमाणाण पाणिणं / धम्मो दीवो पइट्टा य, गई सरणमुत्तमं // 68 // साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसयो इमो। अन्नोऽवि संसश्रो मझ, तं मे