________________ '142) [ श्रीमदेागमसुधासिन्धुः :: त्रयोदशमी विभागः कुलमविक्खतो, तिन्दुयं वणमागयो // 15 // केसी कुमारसमणे, गोयम दिस्समागयं / पडिरूवं पडिवत्तिं सम्मं संपविजई // 16 // पलालं फासुयं तस्थ, पंचमं कुसतणाणि य / गोयमस्स निसिजाए, खिप्पं संपणामए // 17 // केसी कुमारसमणे, गोयमे य महायसे / उभयो निसन्ना सोहन्ति, चंदसूरसमप्पहा // 18 // समागया बहू तत्थ, पासंडा कोउगासिया (कोउगामिगा)। गिहत्थाण अणेगायो, साहस्सीयो समागया // 16 // देवदाणव-गंधब्या जक्खरक्खस-किनरा / अदिस्साण य भूयाणं, यासि तत्थ समागमो // 20 // पुच्छामि ते महाभाग !, केसी गोयममब्बवी / तयो केसि बुवन्तं तु, गोयमो इणमबबी // 21 // पुच्छ भन्ते ! जहिच्छं ते, केसि गोयममबवी / तो केसी अणुनाए, गोयमं इणमब्बवी // 22 // चाउजामो अ जो धम्मो, जो इमो पंचसिक्खियों। देसियो वद्धमाणेणं, पासेण य महामुणी // 23 // एगक. जपवनाणं, विसेसे किं नु कारणं ? / धम्मे दुविहे मेहावी, कई विप्पचयो न ते ? // 24 // तयो केसि बुवन्तं तु, गोयमो इणमबवी / पन्ना समिक्खए धम्म, तत्तं तत्तविणिच्छियं // 25 // पुरिमा उज्जुजड्डा उ, वकजड्डा य पच्छिमा / मज्झिमा उज्जुपन्ना उ, तेण धम्मे दुहा कए // 26 // पुरिमाणं दुबिसुझो उ, चरिमाणं दुरणुपालयो / कप्पो मज्झिमगाणं तु, सुविसुभो सुपालश्रो // 27 // साहु गोयम ! पन्ना ते (पन्नाए) छिन्नो मे संसश्रो इमो / अन्नो वि संसयो मज्झ, तं मे कहसु गोयमा ! // 28 // अचेलयो य जो धम्मो, जो इमो सन्तरुत्तरो। देसियो वद्धमाणेण पासेण य महामुणी ! // 21 // एगकज-पवन्नाणं, विसेसे किं नु कारणं ? लिंगे दुविहे मेहावी!, कहं विप्पच्चयो न ते ? // 30 // केसिमेवं बुवाणं तु, गोयमो इणमबवी / विनाणेण समागम्म, धम्मसाहण-मिच्छियं // 31 // पञ्चयत्थं च लोगस्स नाणाविह-विकप्पणं / जत्तत्थं गहणत्थं च, लोगे लिंगपयोयणं / / 32 // यह भवे पइन्ना उ, मुक्खसन्भूय-साहणा / नाणं च दंसणं चैव, चरित्तं चेव