________________ श्रीमदुत्तराध्ययनस्त्रम् :: अध्ययनं 23-] श्रणुतरं // 48 // एवं करेंति संयुद्धा, पण्डिया पवियक्खणा / विणियट्टति भोगेसु, जहा सो पुरिसोत्तमो // ४॥त्ति बेमि // // इति द्वाविंशमध्ययनम् // 22 // // 23 // अथ केशीगौतमीयाख्यं त्रयोविंशमध्ययनम् // जिणे पासित्ति नामेणं, अरहा लोगाइए / संबुद्धप्पा य सव्वन्नू, धम्मतित्थयरे जिणे (अरिहा लोयविस्सुए। सव्वन्नु सव्वदंसी य, धम्मतित्थस्म देमए) // 1 // तस्स लोगपईवस्स, श्रासि सीसे महायसे / केसी कुमारसमणे, विजाचरणपारगे॥ 2 // भोहिनाणसुए बुद्धे, सी संघ-समाउले / गामाणुगामं रीयन्ते, सेवि सावत्थि मागए // 3 // तिंदुयं नाम उजाणं, तम्मि नगरमंडले / फासुएसिज-संथारे, तत्थ वासमुवागए // 4 // ग्रह तेणेव कालेणं, धम्मतित्थयरे जिगणे / भयवं वडमाणुत्ति, सबलोगंमि विस्सुए / 5 // तस्स लोगपईवस्म, यासि सीसे महायसे / भयवं गोयमे नाम, विजाचरणपारगे // 6 // बारसंगविऊ बुद्धे, सीससंघ-समाउले / गामाणुगामं रीयंते, सेवि सावस्थिमागए // 7 // कुट्टगं नाम उजाणं, तंमि नगरमराडले / फासुएसिजसंथारे, तत्थ वासमुवागए // 8 // केसी कुमारसमणे, गोयमे य महायसे / उभयोऽवि तत्थ विहरिसु, अल्लीणा सुसमाहिया // 1 // उभो सीस. संघाणं, संजयाणं तवरिसणं / तत्थ चिन्ता समुप्पन्ना, गुणवंताण ताइणं // 10 // केरिसो वा इमो धम्मो, इमो धम्मो व केरिसो ? / बायार-धम्मप्पणिही, इमा वा सा व केरिसी ? // 11 // चाउजामो य जो धम्मो, जो इमो पंचसिक्खियो। देसियो बद्धमाणेणं, पासेण य महामुणी // 12 // अचेलगो य जो धम्मो, जो इमो संतरुत्तरो। एगकज-पवन्नाणं, विसेसे किं नु कारणं ? // 13 // अह ते तत्थ सीसाणं, विनाय पवियकियं / समागमे कयमई, उभयो केसिगोयमा // 14 // गोयमो पडिस्वन्न, सीससंघ-समाउले / जि8