________________ 142] [भीमदाममसुनासिधा में प्रयोदश्चमी विभागाहिए। सयमेव लुचई केसे, घिइमंती ववस्सिया // 30 // वासुदेवो य णं भणइ, लुत्तकेसि जिइंदियं संसारसागरं घोरं, तर कन्ने ! लहुँ लहुं // 31 // सा पव्वईया सन्ती, पवावेसी तहिं बहुँ / सयणं परियणं चेव, सीलवन्ता बहुस्सुया // 32 // गिरिं रेवययं जन्ती वासेणोल्ला उ अन्तरा / वासन्ते अन्धयारंमि, श्रन्तो लयणस्स सा ठिया // 33 // चीवराणि विसारंती, जहा जायत्ति पासिया। रहनेमी भग्गचित्तो, पच्छा दिट्ठो य तीइवि // 34 // भीया य सा तहिं द? एगते संजयं तयं / बाहाहिं काउं संगुप्फं, वेवमाणी निसीयई // 35 // अह सोऽवि रायपुत्तो, समुदविजयंगयो / भीयं पवेविरं 8 इमं वक्कमुदाहरे // 36 // रहनेमी अहं भद्दे ! सुरुवे ! चारुभासिणी ! / ममं भयाहि सुअणु !, न ते पीला भविस्सई // 37 // एहि ता भुजिमो भोगे, माणुस्सं ख सुदुल्लहं / भुत्तभोगा पुणो पच्छा, जिणमग्गं चरिस्सिमो // 38 // दट्ठण रहनेमि तं, भग्गुजोय-पराइयं राईमई असंभंता, अप्पाणं संवरे तहिं // 31 // ग्रह सा रायवर कन्ना, सुट्टिया नियमव्वए / जाई कुलं च सीलं च, रक्खमाणी तयं वदे // 40 // जइसि रूवेण वेसमणो, ललिएण नलकूबरो। तहावि ते न इच्छामि, जइसि सक्खं पुरंदरो॥४१॥ धिरत्यु ते जसोकामी !, जो तं जीवियकारणा / वन्तं इच्छसि श्रावेउं, सेयं ते मरणं भवे // 42 // श्रहं च भोगरायस्स, तं चासि अंधगवरािहणो / मा कुले गन्धणा होमो, संजमं निडयो चर // 43 // जइ तं काहिसि भावं, जा जा दिच्छसि नारियो / वायाविद्धव हडो, अद्विअप्पा भविस्ससि // 14 // गोवालो भंडवालो वा, जहा तद्दवणिस्सरो / एवं श्रणीसरो तपि, सामराणस्स भविस्ससि // 45 // तीसे सो वयणं सुच्चा, संजयाई सुभासियं / अंकुसेण जहा नागो, धम्मे संपडिवाइयो // 46 // मणगुत्तो वयगुत्तो कायगुत्तो जिइंदियो / सामन्नं निचलं फासे, जावजीवं दढव्वयो // 47 // उग्गं तवं चरित्ता णं, जाया दुन्निवि केवली / सव्वं कम्मं खवित्ता णं, सिद्धिं पत्ता