________________ भीमदुत्तरीयपनत्रमा अध्ययन 22 : तुडियाणं सन्निनाएणं, दिव्वेणं गगणंफुसे // 12 // एयारिसीइ इवीए, जुइए उत्तमाइ य / नियगायो भवणाश्रो, निजागो वरिहपुगवो // 13 // अह सो तत्थ निज्जतो, दिस्स पाणे भयद्द ए। वाडेहिं पंजरेहिं च, सन्नि(बद्ध)रुद्धे सुदुक्खिए // 14 // जीवियन्तं तु संपत्ते, मंसट्ठा भक्खियब्वए। पासित्ता से महापन्ने, सारहिं इणमब्बवी // 15 // कस्सट्ठा इमे पाणा, एए सब्वे (बहुपाणे) सुहेसिणो / वाडेहिं पंजरेहिं च सन्निरुद्धा य अच्छहि ? // 16 // सारही तो भणइ, एए भद्दा उ पाणिणो / तुझं विवाहकज्जंमि, भोयावेउं बहुँ जणं / 17 // सोऊण तस्स वयणं, बहुपाणि-विणासणं / चिन्तेइ से महापन्ने, साणुकोसे जिएहिउ // 18 // जइ मज्झ कारणा एए, हम्मन्ति (हम्मिहति) सुबहू जिया। न मे एयं तु निस्सेसं, परलोगे भविस्सई // 16 // सो कुराडलाण जुयलं, सुत्तगं च महायसो / श्राभरणाणि य सव्वाणि, सारहिस्स पणामई // 20 // मणपरिणामो श्र को, देवा य जहोइयं समोइन्ना / सविड्डीइ सपरिसा, निवखमणं तस्स काउं जे // 21 // देवमणुस्स-परिवुडो, सिबियारयणं तो समरूढो / निक्खमिय बारगायो, रेवययंमि ठिो भयवं // 22 // उजाणे संपत्तो श्रोइनो, उत्तमाउ सीयायो। साहस्सीए परिवुडो, श्रह निक्खमइ उ चित्ताहिं // 23 // श्रह सो सुगन्धगन्धिए, तुरीयं मउअकुंचिए / सहमेव लुचई केसे, पंचमुट्ठीहिं समाहियो // 24 // वासुदेवो अ णं भणई, लुत्तकेसं जिइन्दियं / इच्छियमणोरहे तुरियं, पावसू तं दमीसरा // 25 // नाणेणं दंसणेणं च, चरित्तेणं तवेण य। खन्तीए मुत्तीए, वद्धमाणो भवाहि य // 26 // एवं ते रामकेसवा, दसारा य बहु जणा / अरिट्टनेमि वन्दित्ता, अइगया बारगारिं // 27 // सोऊण रायकन्ना, पव्वज्जं सा जिणस्स उ। णीहासा उ निराणन्दा, सोगेण उ समुच्छिया // 28 // राईमई विचिन्तेइ, धिरत्थु मम जीवियं / जाऽहं तेणं परिवत्ता, सेयं पव्वइउं मम // 21 // अह सा. भमरसन्निभे, कुचफणसप्पसा