________________ 138 [भीमदागमसपासि प्रयोदशनो विमान अममे अकिंचणे // 21 // विवित्तलयणाई भइज ताई, निरोवलेवाइं असं. थडाई / इसीहिं चिराणाई महायसेहिं, कारण फासिज परीसहाई // 22 // सन्ना(स ना)णनाणोवगए महेसी, अणुत्तरं चरियं धम्मसंचयं / अणुत्तरे, (गुणुत्तरे) नाणधरे जसंसी, श्रोभासई सूरिए वऽन्तलिक्खे // 23 // दुविहं खवेऊण पुराणपावं, निरंजणे सव्वश्री विष्पमुक्के / तरित्ता समुद्द व महाभवोहं, समुद्दपाले अपुणागमं गए // 24 // त्ति बेमि // // इति एकविंशमध्ययनम् // 21 // // 22 // अथ रथनेमीयाख्यं द्वाविंशमध्ययनम् // सोरियपुरंमि नयरे, पासि राया महड्डिए / वसुदेवत्ति नामेणं, रायलक्खणसंजुए // 1 // तस्स भजा दुवे अासि, रोहिणी देवई तहा / तासिं दोगहंपि दो पुत्ता, इट्टा (जे) रामकेसवा // 2 // सोरियपुरंमि नयरे, पासि राया महड्डिए। समुहविजये नाम, रायलक्खण-संजुए॥३॥ तस्स भन्जा सिवा नाम, तीसे पुत्तो महायसो / भयवं अरिट्टनेमित्ति, लोगनाहे दमीसरे // 4 // सोरिट्टनेमिनामो अ, लक्खण(वंजण)स्सर-संजुश्रो / श्रट्ठसहस्सलक्खणधरो, गोयमो कालगच्छवि // 5 ॥वजरिसह-संघयणो, समचउरंसो झसोदरो / तस्स राईमई कन्नं, भज्जं जायइ केसवो॥ 6 // ग्रह सा रायवरकन्ना, सुसीला चारुपेहिणी। सव्वलक्खण-संपन्ना, विज्जुसोया-मणिप्पभा // 7 // अहाह जणश्रो तीसे, वासुदेवं महड्डियं / इहागच्छउ कुमरो, जा से कन्नं ददामऽहं // 8 // सव्वासहीहिं गहविश्रो, कयकोऊय-मंगलो / दिव्वजुयल-परिहिश्रो, श्राभरणेहिं विभूसियो॥ 1 // मत्तं च गन्धहत्थि च, वासुदेवस्स जिट्टयं / श्रारूढो सोहई अहियं, सिरे चूडामणी जहा // 10 // अह ऊसिएण (सीतोसिएण) छत्तेण, चामराहि य सोहियो / दसारचक्केण तश्रो, सब्बश्रो परिवारिए / 11 // चउरंगिणीए सेनाए, रइयाए जहकर्म /