________________ भीमदत्तराध्मयवस्त्रम् / / अम्पयनं 20 ) [ 13 // सीयन्ति एगे बहुकायरा नरा // 38 // जे पव्वइत्ताण महब्वयाई, सम्मं च नो फासयई पमाया / श्रणिग्गहप्पा य रसेसु गिद्धे, न मूलयो छिन्दइ बन्धणं से // 31 // पाउत्तया जस्स य नत्थि कावि, इरियाइ भासाइ तहेसणाए / आयाणनिक्खेवदुगुछणाए, न वीरजायं अणुजाइ मग्गं // 40 // चिरंपि से मुराडलई भवित्ता, अथिरव्वए तवनियमेहिं भट्ठ / चिरंपि अप्पाण किलेसइत्ता, न पारए होइ हु संपराए // 41 // पुल्लेव (पोल्लार) मुट्ठी जह से असारे, अयन्तिते कूडकहावणे य / राढामणी वेरुलियप्पगासे, श्रमहग्धए होइ हु जाणएसु // 42 // कुसीललिंगं इह धारइत्ता, इसिज्मयं जीविय वहइत्ता / असंजए संजय-लप्प(लाभ)माणे, विणिघाय-मागच्छइ से चिरंपि // 43 // विसं तु पीयं जह कालकूडं, हणाइ सत्थं जह कुग्गहीयं / एसेव धम्मो विसयोववन्नो, हणाइ वेयाल इवाविवन्नो (इवाविबंधणो) // 44 // जो लक्खणं सुविण पउंजमाणो, निमित्त-कोऊहल-संपगाढे / कुहेड-विजासवदारजीवी, न गच्छई सरणं तम्मि काले // 45 // तमंतमेणेव उ से असीले सया दुही विपरियासुवेइ / संधावई नरग-तिरिक्खजोणी, मोणं विराहित्तु असाहुरूवे // 46 // ऊद्दे सियं कीयगडं नियागं, न मुच्चई किंचि अणेसणिज्ज / श्रग्गीविवा सव्वभक्खी भवित्ता, इयो चुयो गच्छइ कट्ठ पावं // 47 // न तं श्ररी कराठ छित्ता करेइ, जं से करे अप्पणिया दुरप्पा / से नाहिई मच्चुमुहं तु पत्ते, पच्छाणुतावेण दयाविहूणो // 48 // निरत्थया नग्गई उ तस्स, जे उत्तम? विवयासमेइ / इमेवि से नत्थि परेवि लोए, दुहयो वि से झिज्झइ तत्थ लोए // 41 // एमेवऽहाछन्द-कुसीलरूवे, मग्गं विराहित्तु जिणुत्तमाणं / कुररी विवा भोगरसाणुगिद्धा, निरट्ठसोया परितावमेइ // 50 // सुच्चाण मेहावि सुभासियं इमं, अणुसासणं नाणगुणोववेयं / मग्गं कुसीलाण जहाय सव्वं, महानियंठाण वए पहेणं // 51 // चरित्तमायारगुणन्निए तश्रो, अणुत्तरं संजम पालियाणं / निरासवे संखवियाण कम्म,