________________ 154 [ भीमागमसुभासिन्धुः त्रयोदशमी किमान पीडई / इंदासणिसमा घोरा, वेयणा परमदारुणा // 21 // उवट्टिया मे शायरिया, विजामंत-चिगिच्छया / अबीया सत्थकुसला (नानासस्थत्थकुसला) मंतमूल-विसारया // 22 // ते मे तिगिव्छ कुवंति, चाउप्पायं जहाहियं / न य मे दुक्खा विमोयन्ति, एसा मज्झ अणाहया // 23 // पिया मे सबसारंपि, दिजाहि मम कारणा / न य दुक्खा विमोयन्ति, एसा मज्म अणाहया // 24 // माया (वि) मे महाराय !, पुत्तसोगदुहदिया / न य दुक्खा विमोयन्ति, एसा मज्झ अणाहया // 25 // भायरा मे महाराय !, सगा जिट्टकणिट्ठगा। न य दुक्खा विमोयन्ति, एसा मज्झ अणाहया // 26 // भइणीयो मे महाराय !, सगा जिट्ठकणिट्ठगा / न य दुवखा विमोयन्ति, एसा मज्म अणाहया // 27 // भारिया मे महाराय !, अणुरत्त-मणुव्वया / अंसुपुराणेहिं नयणेहिं, उरं मे परिसिंचई // 28 // अन्नं पाणं च राहाणं च गधाल विलेवणं ?, मए नायमनायं वा, सा बाला नो य भुजई // 26 // खणंपि मे महाराय !, पासायोवि न फिट्टई / न य दुक्खा विमोएइ, एसा मज्म अणाहया // 30 // तयोऽहं एवमाहंसु, दुक्खमा हु पुणो पुणो / वेयणा अणुहविउं जे, संसारम्मि अणन्तए // 31 // सयं च जइ मुचिजा वेयणा विउला इयो / खन्तो दन्तो निरारम्भो, पव्वइए अणगारियं // 32 // एवं च चिन्तइत्ताणं, पासुत्तो मि नराहिवा ! / परियत्तन्तीइ राईए, वेयणा मे खयं गया // 33 // तो कल्ले पभायम्मि, पाउच्छित्ताण बन्धवे / खन्तो दन्तो निरारम्भो, पव्वईयो अणगारियं / / / 34 // ततोऽहं नायो जाहो, प्पणो य परस्स य / सव्वेसिं चेव भूयाणं, तसाणं थावराण य // 35 // अप्पा नई वेयरणी, अप्पा मे कूडसामली / अप्पा कामदुहा घेणू, अप्पा मे नन्दणं वणं // 36 // अप्पा कत्ता विकत्ता य, दुहाण य सुहाण य / अप्पा मित्तममित्तं च, दुप्यट्ठियसुपट्ठियो // 37 // इमा हु अन्नावि अाहया निवा!, तामेगचित्तो निहुयो सुणेहि मे। नियंठधम्म लहियाणवी जहा,