________________ श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् :: अध्ययनं 19] . [ 126 यरिया, जायणा य अलाभया / / 32 // काबोया जा इमा वित्ती, केसलोयो अ दारुणा / दुक्खं बम्भवयं घोरं, धारेउ अमहप्पणो // 33 // सुहोइयो तुमं पुत्ता !, सुकुमालो सुमजियो / न हुसी पभू तुमं पुत्ता !, सामगणमणु पालिया // 34 // जावजीवमविस्तामो, गुणाणं तु महब्भरो। गरुयो लोहमारुन, जो पुत्ता ! होइ दुब्बहो // 35 // श्रागासे गंगसोउब्व, पडिसोउच दुत्तरो। बाहाहिं सागरो चेव, तरियब्यो य गुणोदही // 36 // वालुयाकवले चे, निरस्साए उ संजमे / असिधारागमणं चेव, दुक्करं चरिउं तवो // 37 // ग्रही वेगन्तदिट्टीए, चरित्ते पुत्त ! दुचरे / जवा लोहमया चेव, चावेयव्वा सुदुक्करं // 38 // जहा अग्गिसिहादित्ता, पाउं होइ सुदुक्करं / तह दुकरं करेउं जे, तारुगणे समणतणं // 31 // जहा दुक्खं भरेउं जे, होइ वायस्म कुस्थलो। तहा दुक्खं करेउं जे, कीवेणं समणत्तणं // 40 // जहा तुलाए तोलेउं, दुक्करं मन्दरो गिरी। तहा निहुअनीसंके, दुकरं समणत्तयां // 41 // जहा भुयाहिं तरिउं, दुकरं रयणायरो। तहा अणुवसंतेणं, दुक्करं दमसागरो // 42 // भुज माणुस्सए भोए पंचलवखणए तुमं / भुत्तभोगी तो जाया ! पच्छा धम्मं चरिस्ससि // 43 // तं (तो) बेंतऽम्मापियरो, एवमेयं जहाफुडं / इह लोए निप्पिवासस्स, नत्थि किंचिवि दुकरं // 44 // सारीरमाणसा चेव, वेयणा उ अणंतसो / मए सोढायो भीमायो अमई दुक्खभयाणि य // 45 // जरामरणकंतारे, चाउरते भयागरे / मया सोटाणि भी नाई, जम्माई मरणाणि य // 46 // जहा इहं अगणी उगहो इत्तोऽणन्तगुणो तहिं / नरएसु वेपणा उराहा, अस्साया वेइया मए (इत्तोऽणन्तगुणा तहिं) // 47 // जहा इहं इमं सीयं, इत्तोऽणन्तगुणं(णा) तहिं / नरऐसु वेयणा सीया, अस्साया वेड्या मए // 48 // कंदतो कंदुवुनीसु, उद्धपायो ग्रहोसिरो। हुयासणे जलन्तम्मि, पक्कपुब्वो अणततो // 46 / / महादवग्गि-संकासे, मरुम्मि वइरवालुए / कालम्ब-वालुयाए उ, दडपुब्बो