________________ 128 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो विभागः // 13 // माणुसत्ते असारम्मि, वाहीरोगाण आलए / जरामरणपत्थंमि, खणंपिं न रमामऽहं // 14 // जम्म दुक्खं जरा दुक्खं, रोगा य मरणाणि य / अहो दुक्खो हु संसारो, जत्थ कीसन्ति जंतुणो // 15 // खित्तं वत्थु हिरराणं च, पुत्तदारं च बन्धना / चइत्ताण इमं देहं, गंतब्वमरसस्स मे // 16 // जह किंपागफलाणं, परिणामो न सुदरो। एवं भुत्ताण भोगाणं, परिणामो न सुन्दरो // 17 // श्रद्धाणं जो महंतं तु, अपाहेजो पवजई / गच्छंतो से दुही होड, छुहातगहाहिं पीडियो॥ 18 // एवं धम्म अकाऊणं, जो गच्छइ परं भवं / गच्छंतो से दुही होई, वाहिरोगेहिं पीडियो // 11 // श्रद्धाणं जो महंत तु, सपाहेजो पवजई / गच्छंतो से सुही होइ, छूहातराहाविवजियो // 20 // एवं धम्मपि काऊणं, जो गल्छइ परं भवं / गच्छंते से सुही होइ, अप्पकामे अवेयणे // 21 // जहा गेहे पलित्तंमि, तस्स गेहस्स जो पहू। सारभंडाणि नीणेइ, असारं अवउज्झइ // 22 // एवं लोए पलित्तंमि, जराए मरणेण य / अप्पाणं तारइस्सामि, तुम्भेहिं अणुमनियो // 23 // तं विनि अम्मापियरो, सामगणं पुत्त ! दुचरं / गुणाणं तु सहस्लाणि, धारेयवाई भिक्खुणा // 24 // समया सबभूएसु, सत्तुमित्तेसु वा जगे / पाणाइवायविरई यावज्जीवाय दुक्करं // 25 // निच्चकालाप्पमत्तेणं, मुसावायविवजणं / भासिपव्वं हियं सच्चं, निचाउत्तेण दुक्करं // 26 // दंतसोहणमाइस्स, अदत्तस्स विवजणं / अणवज्जेसणिजस्स, गिगहणा अवि दुक्करं // 27 // विरई अबम्भवेरस्स, कामभोगरसन्नुणा / उग्गं महव्वयं बम्भ, धारेयव्वं सुदुक्करं // 28 // धणयनपेसाग्गेसु, परिग्गहविवजणं / सवारम्भपरिचायो, निम्ममत्तं सुदुक्करं // 21 // वउविहेवि ग्राहारे, राई. भोयणवजणा / सन्निही संचयो चेव, वज्जेयधो सुदुक्करं // 30 // छुहा तराहा य सीउराह, दंसमसगा य वेयणा / अकोसा दुक्खसिजा य, तणफासा जल्लमेव य // 31 // तालणा तजणा चेव, वहबन्धपरीसहा / दुक्खं भिक्खा