________________ श्रीमदुत्तराध्ययमसूत्रम् / अध्ययनं 19 ] // 52 // बन्न-नियाणखमा, एमा (सव्वा) मे भासिया वई। अतरिंसु तरन्तेगे (तरन्तिऽराणे), तरिस्सन्ति अणागया // 53 // करं धीरे अहेऊहिं, अायं (अताणं) परियावसे / सम्बसंगविणिम्मुक्को, सिद्धे भवइ नीरए // 54 // ति बेमि॥ ॥इति अष्टादशममध्ययनम् // 18 // // 16 // अथ मृगापुत्रीयाख्य-मेकोनविंशतितममध्ययनम् // सुग्गीवे नयरे रम्मे, काणणुजाणसोहिए / रापा बलभदो तत्थ, मिया तस्सऽग्गमाहिसी // 1 // तेसिं पुत्ते बलसिरी, मियापुत्तत्ति विस्सए / अम्मापिऊहिं दइए, जुवराया दमीसरे // 2 // नंदणे सो उ पासाए, कीलए सह इत्थिहिं / देवो दोगुंदगो चेव, निच्चं मुदितमाणसो // 3 // मणिरयणकुट्टि मतले, पासायालोयणे ठियो / पालोएइ नगरस्स, चउकतियचच्चरे // 4 // अह अथ अइच्छंतं, पासई समणसंजयं / तवनियमसंजमधरं, सीलड्ढ गुणयागरं // 5 / तं पेहई मियापुत्ते, दिट्टीए अणिमिसाइ उ / कहिं मन्नेरिसं रूवं, दिट्ठपुव्वं मए पुरा ? // 6 // साहुस्स दरिसणे तस्स, अज्झवसाणंमि सोहणे / मोहं गयस संतस्स, जातीसरणं समुप्पन्नं // 7 / जातीसरणे समुप्पन्ने, मियापुत्ते महिड्डिए / सरइ पोराणियं जाई सामराणं च पुराकयं (देवलोगचुयो संतो, माणुमं भवमागयो / सन्निनाणे समुप्पन्ने, जाई सरह पुराणयं) // 8 // विसएसु अरजन्तो, रजन्तो संजमं मे य / अम्मापियरं उवागम्म, इमं वयणमब्बवी // 1 // सुयाणि मे पंच महव्वयाणि, नरएसु दुक्खं च तिरिक्खजोणिसु / निविणकामो मि महराणवायो, अणुजाणह पव्वइस्साम अम्मो ! // 10 // अम्मताय ! मए भोगा, भुत्ता विसफलोवमा / पच्छा कडुयविवागा, अणुबंधदुहावहा // 11 / / इमं सरीरं अणिच्चं, असुई असुइसंभवं / असासयावासमिणं, दुक्खकेसाण भायणं // 12 // असासए सरीरंमि, रई नोवलभामऽहं / पच्छा पुरा व चइयव्वे, फेणबुब्बुयसन्निभे