________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / त्रयोदश्नमो-विभाग अमयं व पूइए, धाराहए दुहयो लोगमिणं तहा परं // 21 // त्ति बेमि // ॥इति सप्तदशमध्ययनम् // 19 // // 18 // अथ संयतीयाख्य-मष्टादशमध्ययनम् // कम्पिल्ले नगरे राया, उदिन्नबलवाहणे / नामेणं संजयो नाम, मिग वं उवनिग्गए // 1 // हयाणीए गयाणीए, रहाणीए तहेव य / पायताणीए महया, सव्वयो परिवारिए // 2 // मिए छुभित्ता हयगयो, कंपिल्लु. जाणकेसरे / भीए सन्ते मिए तत्थ, वहेइ रसमुच्छिए // 3 // अह केसरम्मि उज्जाणे, अणगारे तवोधणे / सज्झायझाण-जुत्ते, धम्मज्माणं झियायइ // 4 // अप्फोवमंडवम्मि, झायई झवियासवे / तस्सागए मिए पासं, वहेइ से नराहिवे // 5 // यह श्रासगयो राया, खिप्पमागम्म सो तहिं / हए मिए उ पासित्ता, अणगारं तत्थ पासई // 6 // ग्रह राया तत्य संभंतो, अणगारो मणाऽऽहयो / मए उ मन्दपुराणेणं, रसगिद्धेण घंतुणा // 7 // यासं विसजइत्ताणं, अणगारस्स सो निवो। विणएणं वन्दई पाए, भगवं ! इत्थ मे खमे // 8 // यह मोणेण सो भगवं, अणगारो झाणमस्सियो / रायाणं न पडिमन्तेइ, तयो राया भयद्द यो॥ 6 // संजयो ग्रहमस्सीति, भगवं ! वाहराहि मे। कुद्धे तेएण अणगारे, दहिजा नरकोडियो // 10 // अभयो पत्थिवा ! तुझं, अभयदाया भवाहि य / अणिच्चे जीवलोगम्मि, किं हिंसाए पसज्जसि ? // 11 // जया सव्वं परिचन्ज, गन्तव्यमवसस्त ते / अणिच्चे जीवलोगम्मि, किं रजम्मि पसन्जसि ? // 12 // जीवियं चेव एवं च, विज्जुसं. पायचंचलं / जत्थ तं मुझसी रायं ! पिञ्चत्थं नाववुज्मसी // 13 // दाराणि य सुया चेव, मित्ता य तह बन्धका / जीवन्तमणुजीवन्ति, मयं नाणुव्व यन्ति य // 14 // नीहरंति मयं पुत्ता, पितरं परमदुविखया ! पितरो वि तहा पुत्ते, वन्यू रायं ! तवं चरे // 15 // तयो तेणजिए दव्वे, दारे य परिरक्खिए। कीलन्तन्ने नरा रायं , हट्टतुट्ठ-मलंकिया // 16 // तेणावि जं कयं कम्म,