________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / त्रयोदशमो विभागः पुत्तो मि तहा अहं पि॥ 30 // सुसंभिया. कामगुणा इमे ते, संपिरािडया अग्गरसापभूया / भुजामु ता काम गुणे पगाम, पच्छा गमिस्सामु पहाण मग्गं // 31 // भुत्ता रसा भोइ ! जहाइ णे वयो, न जीवियट्ठा पजहामि भोए / लाभं थलाभं च सुहं च दुक्खं, संचिक्खमाणो चरिस्सामि मोणं // 32 // मा हू तुमं सोयरियाण सम्भरे, जुराणो व हंसो पडिसोयगामी / भुजाहि भोगाई मए समाणं, दुक्खं खु भिक्खायरिया विहारो // 33 // जहा य भोई (भागा) ? तणुयं भुयंगे, निम्मोयणिं हिच्च पलेइ मुत्तो / एमेए जाया पजहन्ति भोए, तेहं कहं नाणुगमिस्समेको ? // 34 // छिन्दित्तु जालं अवलं व रोहिया, मच्छा जहा कामगुणे पहाय / धोरेयसीला तवसा उदारा, धीरा हु भिक्खायरियं चरन्ति // 35 // नहेव कुंचा समइकमन्ता, तयाणि जालाणि दलित्तु हंस / पलिन्ति पुत्ता य पई य मझ, तेऽहं कहं नाणुगमिस्समे का ? // 36 // पुरोहियं तं ससु सदारं, सोचाऽभिनिक्खम्म पहाय भोए / कुडुम्बमारं विउलुत्तमं तं, रायं अभिक्खं समुवाय देवी // 37 // वन्तासी पुरिसो रायं !, न सो होइ पसंसियो / माहणेण परिच्चत्तं, धणं श्रादाउमिच्छसि // 38 // सव्वं जगं जइ तुहं, सव्वं वावि धणं भवे / र.व्वं पि ते अपज्जत्तं, नेव ताणाय तं तव // 31 // मरिहिसि रायं ! जया तया वा, मणोरमे कामगुणे पहाय / एक्को हु धम्मो नरदेव ! ताणं, न विजई अन्न(ज)मिहेह किंचि // 40 // नाहं रमे पविखणि पंजरे वा, संताण चिन्ना चरिस्सामि मोणं / अकिरणां उज्जुकडा निरामिसा, परिन्गहारम्भ-नियत्तदोसा // 41 // दवग्गिणा जहा रगणे, डज्ममाणेसु जन्तुसु / अन्ने सत्ता पमोयन्ति, रागहोसवसं गया // 42 // एवमेव वयं मूढा, कामभोगेसु मुच्छिया ! डझमाणं न बुज्झामो, रागदोसग्गिणा जगं // 43 // भोगे भोचा वमित्ता य, लहुभूय विहारिणो / ग्रामोयमाणा गच्छन्ति, दिया कामकमा इव // 44 // इम य बद्धा फन्दन्ति, मम हत्थऽजमागया / वयं च सत्ता