________________ भीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् :: अध्ययनं 14] [ 115 लालप्रमाणं, हरा हरंति ति कहं पमायो ? - // 15 // छणं पभुयं सह इत्थियाहिं समणा तहा कामगुणा पगामा। तवं कए तप्पइ जस्स लोगो, ते सब्बसाहीणमिहेव तुझ // 16 // धणेण किं धम्म धुराहिगारे ? सयणेण वा कामगुणेहिं चेव / समणा भविस्सामु गुणोहधारी, बर्हिविहारा अभिगम्म भिक्खं // 17 // जहा य अग्गी अरणीउऽसन्तो, खीरे घयं तेल्लमहा तिलेसु / एमेव जाया सरिरंमि सत्ता, संमुच्छई नासइ नावचिठे // 18 // नो इन्दियग्गिझ अमुत्तभावा, अमुत्तभावा चि य होइ निचो। अमत्यहेउं निययऽस्स बन्धो, संसारहेउं च वयन्ति बन्धं // 11 // जहा वयं धम्ममजाणमाणा, पावं पुरा कम्ममकासिमोहो / गोरुज्झमाणा परिक्खयन्ता, तं नेव भुनावि समा रामो // 20 // अभाहयंमि लोगंमि, सबश्रो परिवारिए। अमोहाहिं, पडन्तीहिं, गिर्हसि न रइं लभे॥२१॥ केण अभाइयो लोगो, केण वा परिवारियो ? / का वा अमोहा वुत्ता ? जाया चिंतावरो हु मे // 22 // मच्चुणाभाहयो लोगो, जगए परिवारियो / अमोहा रयणी वुत्ता, एवं ताय ! विजाणह // 23 // जा जा वच्चइ रयणी, न सा पडिनियनई / अहम्मं कुणमाणस्त, अफला जन्ति राइनो॥ 24 // जा जा वच्चइ रयणी, न सा पडिनियत्तई / धम्मं च कुणमाणस्त, सफला जन्ति राइयो // 25 // एगयो संवसित्ताणं, दुहयो सम्मत्तसंजुया / पच्छा जाया गमिस्सामो, भिक्खमाणा कुले कुले // 26 // जस्सऽत्थि मच्चुणा सक्खं, जस्स वऽस्थि पलायणं / जो जाणइ न मरिस्सामि, सो हु कंखे सुए सिया // 27 // अज्जेव धम्म पडिवजयामो, जहिं पवना न पुणब्भवामो। अणागयं ने य अत्थि किंची, सद्धाखमं नो विणइत्तु रागं // 28 // पहीणपुत्तस्स हु नत्थि वासो, वासिट्टि ! भिक्खायरियाइ कालो / साहाहि रुक्खो लहई समाहि, छिन्नाहि साहाहि तमेव खाणु // 21 // पंखाविहूणो व जहेव पक्खी, भिचविहूणो व रणे नरिन्दो / विवन्नसारो वणिउव्व पोए, पहीण