________________ श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् : अध्ययनं 12 ] [ 111 ते सुया ? किं च ते कारिसङ्ग ? / एहा य ते कयरा सन्ति भिक्खू ?. क्यरेण होमेण हुणासि जोई ? // 43 // तवो जोई जीवो जोइठाणं, जोगा सुया सरीरं कारिसङ्ग / कम्मेहा संजम जोगसन्ती, होमं हुणामि इसिणं पसत्थं // 44 // के ते हरर के य ते सन्तितित्थे ? कहं सि णायो व रयं जहासि ? / थायक्ख णे संजय ! जवखपूइया, इच्छामो नाउं भवो सगासे // 45 // धम्मे हरए बम्भे सन्तितित्थे, अणाविले अत्तपसन्नलेसे / जहिंसि राहायो विमलो विसुद्धो, सुसीर(ल)भूयोण पजहामिदोसं // 46 // एवं सिणाणं कुसलेहि दिट्ठ, महासिणाणं इसिणं पसत्थं / जहिं सि राहाया विमला विसुद्धा, महारिसी उत्तमं ठाणं पत्ति // 47 // त्ति बेमि // . // इति द्वादशममध्ययनम् // 12 // // 13 // अथ चित्रसम्भूतीयाख्यं त्रयोदशमनध्ययनम् // जाईपराजियो खलु, कासि नियाणं तु हथिणपुरम्मि / चुलणीइ बम्भदत्तो, उपवनो नलिण(पउम)गुम्मायो // 1 // कम्पिल्ले सम्भूयो, चित्तो पुण जायो पुरिमतालाम्म / सिट्टिकुलम्मि विसाले, धामं सोऊण पव्यइयो // 2 // कम्पिल्लम्नि य नयरे, समागया दोऽवि चित्तसम्भूया / सुहदुक्खफलविवागं, कहिन्ति ते इक्कमिकस्स // 3 // चकाट्टि महिड्डीयो, बम्भदत्तो महायसो / भायरं बहुमाणेण, इमं वयणमब्बवी // 4 // श्रासिमो भायरा दोऽवि, अन्नमन्नवसाणुगा / अन्नमन्नमणूरत्ता, अन्नमन्नहितेसिणो // 5 // दासा दसराणे श्रासी, मिया कालिंजरे नगे / हंसा मयङ्गतीराए, सोवागा कासिभूमिए // 6 // देवा य देवलोगम्मि, श्रासि अम्हे महिड्डिया / इमा णो छट्टिया जाई, अन्नमन्नण जा विणा // 7 // कम्मा नियाणपयडा, तुमे राय ! विचिन्तिया / तेसिं फलविवागेणं, विप्पश्रोगमुवागया // 8 // सच तोयप्पगडा, कम्मा मए पुरा कडा / ते अज परिभुजामो, किं नु चित्ते वि से तहा ? // 1 // सव्वं सुचिराणं सफलं नराणं, कडाण कम्माण न