________________ 110 } [ श्रीमदार मसुधारिन्धुः त्रयोदशमी विभागः म्मचिट्ठ / निन्भेरियच्छे रुहिरं वमन्ते, उडमुहे निग्गयजीहनेत्ते // 26 // ते पासिया खण्डिय कट्ठभूए, विमणो विसरणो ग्रह माहणो सो। इसिं पसाएइ सभारियायो, हीलं च निन्दं च खमाह भन्ते ! // 30 // बालेहिं मूढेहिं अयाणएहिं, जं हीलिया तस्स खमाह भन्ते ! / महप्पसाया इसि(मुणि)णो हवन्ति, न हु मुणी कोवपरा हवन्ति // 31 // पुब्बि च इसिंह च अणागयं च (पुल्विं च पच्छा तहेव मज्झे), मणप्पदोसो न मे अस्थि कोइ / जवखा हु वेयावडियं करिन्ति, तम्हा हु एए निहया कुमारा // 32 // अत्थं च धम्मं च वियाणमाणा, तुब्भे न वि कुप्पह भू पन्ना / तुभं तु पाए सरणं उवेमो, समागया सब्वजणेण अम्हे // 33 // अच्चेमु ते महाभागा ! न ते किंचि न अचिमो। भुजाहि सालिमं कूरं, नाणावंजणसंजुयं // 34 // इमं च मे अस्थि पभूयमन्नं, तं भुजसू अम्ह अणुग्गहट्ठा / बादंति पडिच्छइ भत्तपाणं, मासस्स उ पारणए महप्पा // 35 // तहियं गन्धोदयपुप्फवासं, दिव्वा तहि वसुहारा य बुट्टा / पहया दुन्दुहीयो सुरेहिं, अागासे अहो दाणं च घुटु // 36 // सक्खं खु दीमइ तवोविसेसो, न दीसई जाइविसेस कोई / सोवागपुत्तं हरिएससाहुँ, जस्सेरिसा इट्ठि महाणुभागा // 37 // किं माहणा ! जोइसमारभन्ता, उदएण सोहिं बहिया विमग्गहा ? / जंमग्गहा बाहिरियं विसोहिं, न तं सुदिट्ठ कुसला वयन्ति // 38 // कुसं च जूवं तणकट्ठमग्गि. सायं च पायं उदगं फुसन्ता। पाणाई भूयाई विहेडयन्ता, भुजोऽवि मन्दा ! पगरेह पावं // 36 // कहं च रे भिक्खु वयं जयामो ?, पापाई कम्माई पणुल्लयामो / अक्खाहि णे संजय ! जक्खपूइया, कहं सुज? कुसला वयन्ति ? // 40 // छजीवकाए असमारभन्ता, मोसं अदत्तं च असेवमाणा। परिग्गहं इथियो माण मायं, एयं परिन्नाय चरन्ति दन्ता // 41 // सुसं. वुडा पंचहिं संवरेहि, इह जीवियं श्रणवकङ्खमाणा / वोसट्टकाए सुइचत्तदेहा, महाजयं जयति जनसिटुं॥ 42 // के ते नोई ? के व ते जोइठाणा ?, का. HAMARATHI