________________ श्रीमदुमाध्ययनसूत्रम् / / अध्ययनं 19 ] . [106 मुणिणो चरन्ति, ताई तु खेताई सुपेसलाई // 15 // अन्झावयाणं पडि. कूलभामी, पभाससे किं, नु सगासि अम्हं ? / अवि एतं विणस्सउ अन्नपाणं, न य णं दाहामु तुमं निगराठा ! // 16 // समिईहिं मझ सुसमाहियस्म, गुतीहि गुतस्स जिइन्दियस्स / जइ मे न दाहित्य अहेसणिज्ज / किमज जन्नाण लहित्य लाहं ? // 17 // के इत्थ खत्ता उवजोइया वा, यज्झावया वा सह खारोडएहिं ? / एवं तु दराडेण फलेण हन्ता, कराठम्मि घितूण खलेज जो णं // 18 // अज्झावयाणं वयणं सुणित्ता, उद्धाइया तत्थ बहू कुमारा / दराडेहिं वित्तेहिं कसेहिं चेव, समागया तं इसि ताल. यन्ति // 11 // रन्नो तहिं कोसलियस्स धूया, भदत्ति नामेण अणिन्दियङ्गी। तं पासिया संजय हम्ममाणं, कुद्धे कुमारे परिनिव्ववेइ // 20 // देवाभियोगेण नियोइएणं, दिन्ना मु रन्ना मणसा न झाया। नरिन्द-देविन्दःभिव. न्दिएणं. जेणामि वन्ता इसिणा स एसो // 21 // एसो हु सो उग्गतको महापा, जितिन्दियो संजयो बम्भयारी। जो मे तया नेच्छइ दिजमाणिं, पिउणा सयं कोसलिएण रन्ना // 22 // महाजमो एसो महाणुभागो(लो), घोरवयो घोरपरकमो य / मा एयं हीलह अहीलणिज्जं, मा सवे तेएण भे निदहिज्जा // 23 // एयाइं तीसे वयणाई सुच्चा, पत्तीइ भद्दाइ सुभासियाई / इसिस्स व्यावडियट्ठयाए, जवखा वुमारे विणिवारयन्ति // 24 // ते घोररूवा ठिय अन्त:लक्खे, असूरा तहिं तं जण तालयन्ति / ते भिन्नदेहे रुहिरं वमन्ते, पासित्तु भद्दा इणमाहु भुजो // 25 // गिरि नहेहिं खणह, अयं दन्तेहि .. खायह / जायतेयं पायेहिं हणह, जे भिवखु अवमन्नह // 26 // श्रासीविसो. उग्गतवो महेसी, घोरव्वयो घोरपरकमो य / अगणि व परखन्द पयंगसेणा, जे भिवखु भत्तकाले वहेह / / 27 // सीसेण एवं सरणं उवेह, समागया सबजगोण तुम्हे / जइ इच्छह जीवियं वा धणं वा, लोगं पि एसो कुवियो डहिज्जा // 28 // अवहेडिय-पिट्टिसउत्तमंगे, पसारिया-बाहु-पक .