________________ श्रीमदुत्तराग्ययनरत्र / अध्ययन र] मरिहई // 14 // जहा सङ्खम्मि पयं निहिये, दुहयोति विरायइ / एवं बहु. स्सुए भिक्खू, धम्मो कित्ती तहा सुयं // 15 // जहा से कम्बोयाणं, थाइराणे कन्थए सिया / श्रासे जवेण पवरे, एवं हवइ बहुस्सुए // 16 // जहाऽऽइराणसमारुढे, सूरे दढपरक्कमे / उभयो नन्दिघोसेणं, एवं हवइ बहुस्सुए // 17 // जहा करेणु-परिकिराणे, कुजरे सट्ठिहायणे / बलवन्ते अप्पडिहए, एवं हवइ बहुरसुए // 18 // जहा से तिक्खसिङ्ग, जायखन्धे विरायई / वसहे जूहाहिवई, एवं हवइ बहुस्सुए // 11 // जहा से तिक्खदाढे, उदग्गे दुप्पहंसए / सीहे मियाण पवरे, एवं हवइ बहुस्सुए // 20 // जहा से वासुदेवे, संख चक्क-गदाधरे / अपडिहयबले जोहे, एवं हवइ बहुस्सुए // 21 // जहा से चाउरन्ते, चकवट्टी महड्डिए। चोदस-रयणाहिवई, एवं हवइ बहुस्सुए // 22 // जहा से सहस्सक्खे, वजपाणी पुरन्दरे / सक्के देवाहिवई, एवं हवइ बहुस्सुए // 23 // जहा से तिमिरविद्धंसे, उत्तिट्ठति दिवायरे / जलन्ते इव तेएणं, एवं हवइ बहुस्सुए // 24 // जहा से उडुवई चंदे, नक्खत्त-परिवारिए। पडिपुराणो पुराणमासीए, एवं हवइ बहुस्सुए // 25 // जहा से सामाइयाणं (सामाइयंगाणं) कोट्ठागारे सुरक्खिए / नाणाधन-पडिपुराणे, एवं हवइ बहुस्सुए // 26 / / जहा सा दुमाण पवरा, जब्बू नाम सुदंसणा / अणाढियस्स देवस्स, एवं हवइ बहुस्सुए // 27 // जहा सा नईण पवरा, सलिला सागरंगमा / सीया नीलवन्तप्पभ(व)हा, एवं हवइ बहुस्सुए // 28 // जहा से नगाण पवरे, सुमहं मन्दरे गिरी / नाणोसहिपजलिए, एवं हवइ बहुस्सुए // 21 // जहा से सयंभूरमणे, उदही अक्खयोदए / नाणारयण-पडिपुराणे, एवं हवइ बहुस्सुए // 30 // समुद्द-गम्भीरसमा दुरासया, अचक्किया केणइ दुप्पहंसया / सुयस्स पुराणा विउलस्स ताइणो, खवित्तु कम्मं गइमुत्तमं गया // 31 // तम्हा सुयहिट्टिजा, उत्तमट्ठ-गवेसए / जेणऽप्पाणं परं चेव, सिद्धिं संपाउणेजासि // 32 // ति बेमि // .... . // इति एकादशममध्यमनम् // 11 // ...