________________ 102 [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमी विमागेः निसामित्ता, हेउकारणंचोइयो / तत्रो नमी रायरिसी देविंदं इणमब्बवी॥३३॥ जो सहस्सं सहस्साणं, संगामे दुजए जिणे / एगं जिणेज अप्पाणं, एस से परमो जयो // 34 // अप्पाणमेव जुज्झाहि, किं ते जुन्झेण बज्झयो / अप्पाणमेवमप्पाणं, जिणित्ता सुहमेहति // 35 // पंचिन्दियाणि कोहं, माणं मायं तहेव लोहं च / दुजयं चेव अप्पाणं, सव्वं अप्पे जिए जियं // 36 // एयमटुं निसामित्ता, हेउकारणचोइयो / तयो नमि रायरिसिं, देविन्दो इणमबवी // 37 // जइत्ता विउले जन्ने, भोइत्ता समणमाहणे / दचा भोचा य जट्टा य, तो गच्छसि खत्तिया ! // 38 // एयमटुंनिसामित्ता, हेउकारणचोइयो। तश्रो नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी // 31 // जो सहस्सं सहस्साणं, मासे मासे गवं दए। तस्सावि संजमो सेयो, अदिन्तस्स वि किंच णं // 40 // एयम8 निसामित्ता हेउकारणचोइयो / तयो नमि रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी // 41 // घोरासमं चइत्ता(जहित्ता) णं, अन्नं पत्थेसि थासमं / इहेब पोसहरयो, भाहि मणुयाहिवा ! // 42 // एयम8 निसामित्ता, हेउकारणचोइयो / तयो नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी // 4 // मासे मासे तु जो बालो, कुसग्गेणं तु भुजइ / न सो सुअक्खायधम्मस्स, कलं अग्घइ सोलसिं // 44 // एयम४ निसामित्ता, हेउकारणचोइयो / तयो नमिं रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी // 45 // हिरगणं सुवरणं मणिमुत्तं, कंसं दूसं च वाहणं / कोसं च वढइत्ताणं, तो गच्छसि खत्तिया ! // 46 // एयमटुं निसामित्ता, हेजकारणचोइयो / तयो नमी रायरिसी, देवेन्दं इणमब्बवी // 17 // सुवरणरुप्पस्स य पव्वया भवे, सिया हु केला. ससमा असंखया / नरस्स लुद्धस्स न तेहिं किंचि, इच्छा हु अागाससमा अणन्तया // 48 // पुढवी साली जवा चेव, हिरगणं पसुभिस्सह / पडि. पुराणं नालमेगस्स, इइ विजा तवं चरे // 41 // एयमटुंनिसामित्ता, हेउकारणचोइयो / तयो नमि रायरिसिं, देविन्दो इएमबवी // 50 // अच्छेरय