________________ श्रीमदुत्तराध्ययननम् / अध्ययनं 1 : [ 103 मन्भुदये, भोए जहसि(चयसि) पत्थिंवा ! असन्ते कामे पत्थेसि, संकप्पेण विहसि // 51 // एयम8 निसामित्ता, हेउकारण चोइयो / तयो नमी रायरिसी, देवेन्दं इणमब्बवी // 52 // सल्लं कामा विसं कामा, कामा यासीविसोवमा / कामे य पत्थेमाणा, अकामा जन्ति दोग्गइं // 53 // अहे वयइ कोहेणं, माणेणं अहमा गई / माया गइपडिग्यायो, लोभायो दुयो भयं // 54 // अवउभिऊण माहणरूवं विउरूव्विऊण इन्दत्तं / वन्दइ अभित्थुणन्तो, इमाहि महुराहिं वग्गूहि // 55 // अहो ते निजियो कोहो, ग्रहो माणो पराजियो / ग्रहो ते निरकिया माया, अहो लोभो वसीकयो // 56 // ग्रहो ते अजवं साहु, अहो ते साहु मद्दवं / अहो ते उत्तमा खन्ती, ग्रहो ते मुत्ति उत्तमा / 57 // इहं सि उत्तमो भन्ते ! पच्छा होहिसि उत्तमो / लोगुत्तमुत्तमं ठाणं, सिद्धिं गच्छसि नीरो // 58 // एवं अभित्थुणन्तो, रायरिसिं उत्तमाए सद्धाए / पायाहिणं करेन्तो, पुणो पुणो वन्दए सको // 51 // तो वन्दिउण पाए, चक्कंकुस-लक्खणे मुणिवर. स्स / अागासेऽणुप्पइयो ललिय चवल-कुण्डल-तिरीडी // 6 // नमी नमेइ अप्पाणं, सक्खं सक्केण चोइयो / चइऊण गेहं वइदेही, सामराणे पज्जुवटियो / / 61 // एवं करन्ति संबुद्धा, पण्डिया पवियवखणा / विणियन्ति भोगेसु, जहासे नमी रायरिसि // 62 // त्ति बेमि // // इति नवममध्ययनम् // 9 // . . // 10 // अथ द्रमपत्रकाख्यं दशममध्ययनम् // दुमपत्तए पगडुयए जहा, निवडइ रायगणाण श्रवए। एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमाथए // 1 // कुसग्गे जह योसबिन्दुए, थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए। एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए // 2 // इह इत्तरियम्मि अाउए, जीवियए बहुपचवायए। विहुणाहि रयं पुराकडं, समयं गोयम ! मा पमायए // 3 // दुलहे खलु माणुसे भवे,