________________ 64-]. [ भीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो पिनागः // 5 // अथ अकाममरणीयाख्यं पञ्चमं अध्ययनम् // अण्णवंसि महोहंसि, एगे तिराणे दुरुत्तरे। तत्थ एगे महापन्ने, इमं पराहमुदाहारे // 1 // सन्तिमे य दुवे ठाणा, अक्खाया मारणन्तिया / अकाममरणं चेव, सकाममरणं तहा // 2 // बालाणं (तु) कामं तु, मरणं असई भवे / पण्डियाणं सकामं तु, उक्कोसेण सई भवे // 3 // तत्थिमं पढमं ठाणं, महावीरेण देसियं / कामगिद्धे जहा बाले, भिसं कूराइं कुब्बई // 4 // जे गिद्धे कामभोगेसु, एगे कूडाय गच्छइ / न मे दिट्टे परे लोए, चक्रवृदिट्ठा इमा रई // 5 // हत्थागया इमे कामा, कालिया जे श्रणागया। को जाणई परे लोए, अस्थि वा नत्थि वा पुणो ? // 6 // जणेण सद्धिं होक्खामि, इइ बाले पगभई / कामभोगाणुराएणं. केसं संपडिवजई // 7 // तयो से दराडं समारभई, तसेसु थावरेसु य / अट्ठाए य अणट्ठाए, भूयग्गाम विहिंसई // 8 // हिंसे बाले मुसाबाई, माइल्ले पिसुणे सढे / भुञ्जमाणे सुरं मंसं,सेयमेयं ति मन्नई // 1 // कायसा वयसा मत्ते, वित्ते गिद्धे य इत्थिसु / दुहयो मलं संचिणइ, सिसुणागोव्व मट्टियं // 10 // तयो पुट्ठो श्रायङ्कणं, गिलाणो परितपई / पभीयो परलोगस्स, कम्माणुप्पेहि अप्पणो // 11 // सुया मे नरए ठाणा, असीलाणं च जा गई / बालाणं कूरकंम्माणं पगाढा जस्थ वेयणा // 12 // तत्थोऽववाइयं ठाणं, जहा में तमणुस्सुयं / श्राहाकम्मेहिं गच्छन्तो, सो पच्छा परितप्पइ // 13 // जहा सागडियो जाणं, समं हिचा महापहं / विसमं मग्गमोइराणो(गाढो), अक्खे भग्गम्मि सोयइ // 14 // एवं धम्मं विउक्कम्म, अहम्मं पडिवजिया / बाले मच्चमुहं पत्ते, अक्खे भग्गे व सोयइ // 15 // तयो से मरणन्तंमि, बाले सन्तसइ भया / अकाममरणं मरइ, धुत्ते वा कलिणा जिए // 16 // एवं अकाममरणं, बालाणं तु पवेइयं / एत्तो सकाममरणं, पण्डियाणं सुणेह मे // 17 // मरणं पि सपुराणाणं, जहा मे तमणुस्सुयं / विप्पसन्नमणाघायं, संजयाणं वुसीमयो // 18 //