________________ 19]. [ श्रीमदागनसुपसिधा त्रयोदशमी बिनाना वीलिया // 4 // एवमावजोणीसु, पाणिणो कम्मकिविसा / न निवजन्ति संसारे, सबढेसु य खत्तिया // 5 // कम्ममङ्गोहिं सम्मूढा, दुक्खिया बहु. वेयणा / प्रमाणुसासु जोणीसु, विनिहम्मन्ति पाणिणो // 6 // कम्माणं तु पाहाणाए, थाणुपुब्बी कयाइ उ / जीवा सोहिमणुप्पत्ता, प्राययन्ति मणुस्सयं (जायन्ते मणुसत्तयं)॥७॥ माणुस्सं विग्गहं लद्ध, सुई धम्मस्स दुल्लहा / जं सोचा पडिवजन्ति, तवं खन्तिमहिंसयं // 8 // श्राहच्च सवणं लद्ध, सद्धा परमदुल्लहा / सोचा नेत्राउयं मग्गं, बहवे परिभस्मई // 1 // सुई च लद्भुसद्धं च, वीरियं पुण दुल्लहं / बहवे रोयमाणावि, नो य णं पडिवजई // 10 // माणुसत्तंमि थायात्रो, जो धम्मं सोच सरहे / तवस्सी वीरियं लद्भु, संबुडे निद्भुणे रयं // 11 // सोही उज्जुयभूयस्स, धम्मो सुद्धस्स चिट्ठई / निधाणं परमं जाइ, घयसित्ति ब पावए // 12 // विगिश्च कम्मुणो हेउं, जसं संचिणु खन्तिए / पावं सरीरं हिच्चा, उडढं पकमई दिसिं // 13 // विसालिसहिं सीलेहि,जख्खा उत्तर उत्तरा / महासुका व दिप्पन्ता, मन्नंता अपुणचवं // 14 // अप्पिया देवकामाणं, कामरूवविउविणो / उड्ढं कप्पेसु चिट्ठन्ति, पुवा वाससया बहु // 15 // तत्थ टिच्चा जहाठाणं, जक्खा बाउक्खए चुया / उविन्ति माणुसं जोणिं, से दसङ्गेऽभिजायए // 16 // खितं वत्थु हिरगणं च, पसवो दासपोरसं / चत्तारि कामखन्धाणि, तत्थ से उखवजई // 17 // मित्तवं नायवं होइ, उच्चागोए य वरणवं / अप्पायंके महापन्ने, अभिजाए जसो बले // 18 // भोच्चा माणुस्सए भोए, अप्पडिरूवे श्रहाउयं / पुदि विसुद्धसद्धम्मे, केवलं बोहि बुझिया // 16 // चउरङ्गदुल्लह मच्चा, संजमं पडिवजिया / तवसा धुतकम्मसे सिद्धे हवइ सासए // 20 // त्ति बेमि / // इति तृतीयमध्ययनम् // 3 //