________________ [11 भीमदत्तराध्ययनस्त्रम् ।मध्ययन 3] // 35 // 17 किलिनगाए मेहावी, पङ्कणं व रएण वा। प्रिंसु वा परितावेण, सायं नो परीदेवए // 36 // वेएज (वेइंतो) निजरा-पेहि अारियं धम्मणुत्तरं / जाव सरीरभेश्रोत्ति, जल्लं कारण धारए (जल्लं काए ण उबटे) // 37 // 18 / अभिवायण-मन्भुटाणं, सामी कुजा निमन्तणं / जे ताई पडिसेवन्ति, न तेसिं पीहए मुणी // 38 // अणुक्कस्साई अप्पिच्छे, अन्नाएसी अलोलुए। रसेसु (सरसेसु) नाणुगिज्झेजा, नाणुतप्पेज पन्नवं // 31 // 16 / से नूणं मए पुव्वं, कम्माऽणाणफला कडा / जेणाहं नाभिजागामि, पुट्ठो केणइ कराहुई // 40 // यह पच्छा उदिजन्त, कम्माऽणाणफला कडा / एवमस्सासि अप्पाणं, नचा कम्मविवागयं // 41 // 20 / निरझुगम्मि विरयो, मेहुणायो सुसंवुडो / जो सक्खं नाभिजाणामि, धम्म कलाणपावगं // 42 // तवोवहाणमादाय, पडिमं पडिवजिय (पडिवजो ) / एवं पि विहरयो मे, छउमं न निबट्टइ // 43 // 21 / नत्थि नूनं परलोए, इड्डी वावि तवस्सिणो। अदुवा वञ्चियो मित्ति, इइ भिक्खू न चिन्तए // 44 // अभू जिणा अस्थि जिणा, अदुवावि भविस्सई / मुसं ते एवमाहंसु, इइ भिक्खू न चिन्तए // 45 // 22 / एए परीसहा सव्वे, कासवेणं पवेइया / जे भिक्खू न विहन्नेजा, पुट्ठो केणइ कन्हुइ // 46 // त्ति बेमि // // इति द्वितीयमध्यनम् // 2 // // 1 // अथ चतुरङ्गीयाख्यं ततीयमध्ययनम् // चत्तारि परमङ्गाणि, दुल्लहाणीह जन्तुणो(देहिणो) / माणुसत्तं सुई सद्धा, संजमम्मि य वीरियं // 1 // समावन्ना गा संसारे, नाणागोत्तासु जाइसु / कम्मा नानाविहा कटु, पुढो विस्संभिया पया // 2 // एगया देवलोएसु, नरएसुवि एगया। एगया त्रासुरं कायं, अहाकम्मेहिं गच्छई // 3 // एगया खत्तियो होई, तयो चण्डालबोक्कसो / तयो कीडपयङ्गो य, तयो कुन्थुपि.