________________ [ श्रीमदगिमसुधासिन्धु प्रयोदशमी विमागा सुन्नगारे वा, रुक्खमूले व एगयो / अकुक्कुयो निसीएजा, न य बित्तासए परं // 20 // तत्थ से चिट्ठ(अच्छ)माणस्स, उत्सग्गाऽभिधारए (उवसग्गभयं भवे) / सङ्काभीयो न गच्छेजा, उद्वित्ता अन्नमासणं // 21 // 10 / उन्नावयाहिं सेनाहिं, तबस्सी भिक्खू थामवं / नातिवेलं विहन्नेजा, पावदिट्ठी विहन्नइ // 22 // पइरिक्कं उबस्सयं, लद्बुकल्लाणं अदुव पावयं / किमेगरायं करिस्सइ, एवं तत्थहियासए // 23 // 11 / अक्कोसेजा परो भिक्खु, न तेर्सि पडिसंजले / सरिमो होइ बालाणं, तम्हा भिक्खू न संजले // 24 // सोचाणं फरसा भासा, दारुणा गामकराटया। तुसिणीयो उवेहेजा, न तायो मणसीकरे // 25 // 12 / हो न संजले भिक्खू, मणंपि न परोसए / तितिक्खं परमं नचा, भिक्खू धम्मं विचिन्तए // 26 // समणं संजयं दन्तं, हणेजा कोइ कत्थई। नस्थि जीवस्त नासो त्ति, ण तं पेहे असाहुवं (एवं पेहेज संजए) (न य पेहे असाधुयं) // 27 // 13 / दुक्करं खलु भो निच, अणगारस्स भिक्खुगो / सव्वं से जाइयं होइ, नत्थि किंचि अजाइयं // 28 // गोयरग्गपविट्ठस्स, पाणी नो सुप्पसारए। सेयो अगारवासु त्ति, इह भिक्खू न चिन्तए // 21 // 14 / परेसु घासमेसेजा, भोयणे परिणिहिए। लद्धे पिराडे बाहरिजा, अलद्धे नाणुतप्पए (वा नाणुतप्पिज पण्डिए) // 30 // अजेवाहं न लम्भामि, अवि लाभो सुए सिया। जो एवं पडिसचिवखे अलाभो तं न तज्जए॥ 31 // 15 नचा उप्पइयं दुक्खं, वेयणाए दुहट्ठिए। श्रदीणो गवए पन्न, पुट्ठो तत्थ हियासए // 32 // तेगिच्छं नाभिनन्देज्जा, संचिक्खऽत्तगेवसए। एवं खु तस्स सामगणं, जं न कुज्जा न कारवे // 33 // 16 / अचेलगस्स लूहस्स, संजयस्स तवस्सिणो / तणेसु सुयमाणस्स, हुज्जा गायविराहणा // 34 // श्रायवस्स निवारणं, तिदुला (अतुला, त्रिपुला) हवइ वेयणा एवं (एय) नचा न सेवन्ति, तन्तुजं (तंतयं) तणतजिया