________________ [ 43 श्री आचाराङ्गसूत्रम् :: श्रुतरकंधः 1 अध्ययनं 9 ] खू / जं किंचि पावगं भगवं तं यकुछ वियर्ड भुजित्था // 18 // णो सेवइ य परवत्थं परपाएवि से न भुजित्था / परिवज्जियाण उमाणं गच्छइ संखडिं असरणयाए // 16 // मायराणे असणपाणस नाणुगिद्धे रसेसु अपडिन्ने / थच्छिपि नो पमज्जिज्जा नोवि य कंडूयए मुणी गायं // 20 // अप्पं तिरियं पेहाए अप्पिं पिट्ठयो पेहाए / अप्पं बुइएऽपडिभाणी पंथपेही चरे जयमाणे // 21 // सिसिरंसि अद्धपडिवन्ने तं वोसिज्ज वत्थमणगारे / पसारितु बाई परक्कमे नो अवलम्बियाण कंधमि // 22 // एस विही अणुक्कन्तो माहणेण मइमया / बहुसो अपडिन्नेण भगवया एव रियंति // 23 // तिबेमि // // इति प्रथमोद्देशकः // 6-1 // // अध्ययन 6 :: उद्देशकः 2 // चरियासणाई सिज्जायो एगइयायो जायो बुझ्यायो। बाइक्ख ताई सयणासणाई जाइं सेवित्था से महावीरे // 1 // श्रावेसणसभापवासु पणियसालासु एगया वासो। अदुवा पलियठाणेसु पलालपुजेसु एगया वासो // 2 // श्रागन्तारे पारामागारे तह य नगरे व एगया वासो / सुसाणे सुराणगारे वा रुक्खमूले व एगया दासो // 3 // एएहिं मुणी सयणेहिं समणे पासि पतेरसवासे / राइं दिवंपि जयमाणे अपमत्ते समाहिए झाइ // 4 // णिपि नो पगामाए, सेवइ भगवं उट्ठाए। जग्गावइ य अप्पाणां इसिं साइ य अपडिन्ने // 5 // संबुज्झमाणे पुणरवि ग्रासिंसु भगवं उट्टाए / निवखम्म एगया रायो बहि चंकमिया मुहुत्तागं // 6 // सयणेहिं तत्थुवसग्गा भीमा अासी अणेगरूवा य / संसप्पगा य जे पाणा अदुवा जे पक्खिणो उवचरन्ति / 7 // अदु कुचरा उवचरन्ति गामरक्खा य सत्ति-हत्था य / अदु गामिया उवसग्गा इत्थी एगइया पुरिसा य // 8 // इहलोइयाई परलोइयाइं मीमाई अगोगरूवाइं / अवि सुभि दुभिगन्धाइं सदाई अगोगरूवाई // 9 // अहियासए सया समिए