________________ 42 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्युः : प्रथमो विभागः ते। से पारए श्रावकहाए, एयं खु अणुधम्मियं तस्स // 2 // चत्तारि साहिए मासे, बहवे पाणजाइया बागम्म / अभिाज्झ कायं विहरिसु, पारुसिया णं तत्थ हिंसिसु // 3 / / संवच्छरं साहियं मासं जं न रिकासि वत्थगं भगवं। अचेलए तयो चाइ तं वोसिज्ज वत्थमणगारे // 1 // अदु पोरिसिं तिरियं भित्ति, चक्खुमासज्ज अन्तसो झायइ / अह चक्खुभीया संहिया ते, हन्ता हन्ता बहवे कंदिसु // 5 // सयणेहिं वितिमिस्सेहिं इथियो तत्थ से परिनाय सागारियं न सेवेइ य, से सयं पवेसिया झाइ // 6 // जे के इमे अगारत्था मीसीभावं पहाय से झाइ। पुट्ठोवि नाभिभासिंसु गच्छइ नाइवत्तइ अंजू (पुट्ठो व सो अपुट्टो व नो अणुनाइ पारगं भगव) // 7 // णो सुकरमेयमेगेसि नाभिभासे य अभिवायमाणे / हयपुटवे तत्थ दंडेहिं लूसियपुव्वे अपपुराणेहिं // 8 // फरसाइं दुत्तितिक्खाइ अइयच्च मुणी परवकममाणे। श्राघाय नट्टगीयाइं दराडजुदाई मुट्ठिजुधाई // 6 // गढिए मिहुकहासु समयंमि नायसुए विसोगे अदक्खु / एयाइ से उरालाइं गच्छइ नायपुत्ते असरणयाए // 10 // अवि साहिए दुवे वासे सीयोदं अभुच्चा निक्खन्ते / एगत्तगए पिहियच्चे से अहिन्नायदंसणे सन्ते // 11 // पुढविं च पाउकायं च तेउकायं च वाउकायं च / पणगाई बीयहरियाई तसकायं च सव्वसो नच्चा // 12 // एयाइं सन्ति पडिलेहे, चित्तमन्ताइ से अभिनाय / परिवज्जिय विहरिस्था इयं संखाय से महावीरे // 13 // यदु थावरा य तसत्ताए, तसा य थावरत्ताए / अदुवा सव्वजोणिया सत्ता कम्मुणा कप्पिया पुढो बाला // 14 // भगवं च एवमनेसि सोवहिए हु लुप्पइ बाले। क मंच सबसो नच्चा तं पडियाइक्खे पावगं भगवं // 15 // दुविहं समिच्च मेहावी किरीयमक्खायऽणेलिसं नाणी। श्रायाण सोयमवायसोयं जोगं च सव्वसो णच्चा // 16 // श्रइवत्तियं अणाउट्टि सयमन्नेसिं अकरणयाए / जस्सित्थियो परिन्नाया सव्वकम्मावहा उ से अदक्खु // 17 // अहाकडं न से सेवे सव्वसो कम्म (कम्मुणा). अद