________________ रिपुदार चतुर्थः प्रस्तावः . अथ विख्यातसौन्दर्ये, सपुण्यजनसेविते / सिद्धार्थनगरे तत्र, भूपोऽभूनरवाहनः // 1 // . यस्तेजसा सहस्रांशु, गाम्भीर्येण महोदधिम् / स्थैर्येण शैलराजेन्द्र, जयति स्म महाबलः // 2 // येन बन्धुषु चन्द्रत्वं, शत्रुवंशे कृशानुता / प्रदर्शिताऽऽत्मनो नित्यं, धनेन धनदायितम् // 3 // तस्य रूपयशोवंशविभवैरनुरूपताम् / दधानाऽऽसीन्महादेवी, नाम्ना विमलमालती // 4 // सा चन्द्रिकेव चन्द्रस्य. पोव जलजन्मनः। तस्य राज्ञः सदा देवी, हृदयान विनिर्गता // 5 // ततोऽगृहीतसङ्केते ! तदानीं निजभार्यया / सह पुण्योदयेनाई, तस्याः कुक्षौ प्रवेशितः // 6 // अथ संपूर्णकालेन, सर्वावयव जुन्दरः। निष्क्रान्तोऽहमभिव्यक्तरूपश्छलस्तथेतरः // 7 // ततो मामुपलभ्यासौ, देवी विमलमालती / संजातः किल पुत्रो मे, परं हर्षमुपागता // 8 // ततो निवेदितो राज्ञे, तुष्टोऽसावपि चेतसा / संगतो नगरानन्दः कृतो जन्ममहोत्सवः // 9 // ममापि च समुत्पन्नो, वितकों निजमानसे / यथाऽहमनयोः पुत्रस्तातो मातेति तावुभौ // 10 // अथ मासे गते पूर्णे, महानन्दपुरःसरम् / ततः प्रतिष्ठितं नाम ममेति रिपुदारुणः // 11 // नन्दिवर्धनकाले या, ममाऽऽसीदविवेकिता / सा धात्री पुनरायाता, स्तनपायनतत्परा // 12 // इतश्च तेन सा भर्ना, निजेन प्रियकामिना / कचिद् द्वेषगजेन्द्रेण, संयोग समुपागता // 13 // यदा चापन्नगर्भाऽभूदेवी विमलमालती / तदैव दैवयोगेन, संजाता सापि गर्भिणी // 14 // ततो मज्जन्मकाले यो, प्रसूता दुष्टदारकम् / उनामितमहोरस्कं, वदनाष्टकधारकम् // 15 // तं वीक्ष्य सा वीशालाक्षी, परं हर्षमुपागता / ततश्च चिन्तयन्त्येवं, स्तिमितेनान्तरात्मना // 16 // अहो मदीयपुत्रस्य, कूटानि सुगिरेरिख / मूर्धानोऽष्ट विराजन्ते, तदिदं महदद्भुतम् // 17 // ततः साऽपि गते मासे, निजसूनोर्गुणोचितम् / करोति नाम विख्यातं, शैलराज इति स्फुटम् // 18 // इतश्च-सा धात्री स च तत्सनुरनादावपि सर्वदा / ममान्तरङ्गोऽभूदेव, तिरोभूततया परम् // 19 // ततः पित्रोर्महानन्दं, दधानः सुखलालितः / सहैव शैलराजेन, परां वृद्धिमहं गतः // 20 // अथातीतेषु वर्षेषु, पञ्चषेषु ततो मया / स व्यक्तं रममाणेन, शैलराजो निरीक्षितः // 21 // अनादिस्नेहमोहेन, तं दृष्ट्वा मम मानसे / या प्रीतिरासीत्साऽऽख्यातुं, वचनेन न पार्यते // 22 // विलोकयन्तं मां वीक्ष्य, स्निग्धदृष्टया स दारकः / शठात्मा चिन्तयत्येवं, लब्धलक्ष्यः स्वचेतसा // 23 // शैलराजजन्म मैत्री उभयोः