________________ देविदत्थओ ( इच्छसे )] जइ ( अ ) = यदि इच्छसे ( इच्छ ) व 2/1 सक नाउं (णाउ) हेकृ तस्स ( त ) 6/1 स ससोहि ( ससि ) 32 उ (अ ) = पादपूर्ति गुणियं* (गुणिअ) भूक 2/1 रिक्ख-ग्गह-तारग्गं [ ( रिक्ख ) - ( गह) - ( तारग्ग ) 2/1 ] तु (अ) = . पादपूर्ति * कभी-कभी द्वितीया विभक्ति का प्रयोग सप्तमी के स्थान पर पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3/137) 153. बहिया (अ) = बाहर उ ( अ ) = पादपूर्ति माणुसनगस्स [ ( माणुस ) - ( नग ) 6/1] चंद-सूराणऽवट्ठिया [ ( चंद )(सुर )-( अवट्टिय ) भूकृ 1/2 अनि ] जोगा ( जोग) 1/2 चंदा ( चंद ) 1/2 अभिईजुत्ता [ ( अभिइ ) - ( जुत्त) भूकृ 5/1 अनि ] सूरा ( सूर ) 1/2 पुण ( अ ) = पादपूर्ति होंति ( हो ) व 3/2 अक पुस्सेहि (पुस्स ) 3/2 / 154. चंदाओ (चंद ) 5/1 सरस्स ( सूर ) 6/1 य (अ) = और सूरा ( सर ) 5/1 चंदस्स ( चंद ) 6/1 अंतरं ( अंतर ) 1/1 होइ (हो) व 3/1 अक पपणास (पण्णास) मूल शब्द 1/2 सहस्साई (सहस्स) 1/2 जोयणाणं ( जोयण ) 6/2 अणूणाई ( अणूण ) 1/2 155. सूरस्स ( सर ) 6/1 य ( अं) = और सूरस्स* ( सर ) 6/1 ससिणो ( ससि ) 6/1 ससिणो* ( ससि ) 6/1 य ( अ ) = और अंतरं ( अंतर ) 1/1 होइ ( हो ) व 3/1 अक बहिया ( अ ) = बाहर उ ( अ ) = पादपूर्ति माणुसनगस्स [ ( माणुस )- ( नग) 6/1] जोयणाणं ( जोयण ) 6/2 सयसहस्सं ( सयसहस्स) 1/1 * कभी-कभी षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पंचमी के स्थान पर होता है। ( हेम प्राकृत व्याकरण 3/134) 156. सूरतरिया [ ( सूर ) + ( अंतरिया)] [ ( सूर )- (अंतरिय) 1/1] चंदा (चंद) 5/1 चंदंतरिया [ ( चंद) + ( अंतरिया )] [ ( चंद ) - ( अंतरिया ) 1/1 ] य ( अ ) = और दिणयरा