________________ 104 देविदत्थओ स जोगो (जोग) 1/1 नक्खत्ताणं (नक्खत्त) 6/2 मुणेयव्वो (मुण) विधिकृ 1/1 * कभी-कभी तृतीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमो विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3/135) 105. अभिई (अभिइ) 1/1 छच्च [ (छ) + (च्च)] छ (छ) मूलशब्दं 1/2 च्च(अ) = पादपूरक मुहत्ते (महत्त) 1/1 चत्तारि (चउ) 1/2 य(अ) = और केवले (केवल) 1/1 अहोरत्ते (अहोरत्त) 1/1 सूरेण (सूर) 3/1 समं (अ) = साथ वच्चई (वच्च) व 3/1 सक एत्तो (अ) = इससे सेसाण (सेस) 6/2 वुच्छामि (वुच्छ) व 1/1 सक 106. सयभिसया (सयभिसया) 1/1 भरणोओ (भरणो) 1/2 अदा (अद्दा) 1/1 अस्सेस* (अस्सेसा)मूलशब्द 1/1 साइ (साइ) मूलशब्द 1/1 जेट्ठा (जेद्रा) 1/1 2 (अ) = और वच्चंति (वच्च) व 3/2 सक छहोरते [ (छ) + (अहोरत्ते) ] [ (छ) - (अहोरत्त) 7/1] एक्कवोसं* (एक्कवीस) 2/1 वि मुहुते (मुहुत्त) 1/1 य (अ) = और * छन्द की मात्रा पूर्ति हेतु दीर्घ का हस्व कर दिया. जाता है / * कभी-कभी सप्तमी के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। . (हेम प्राकृत व्याकरण, 3/137) 107. तिन्नेव [ (तिन्न) + (एव) ] तिन्न(तिन्न)मूलशब्द 1/2 एव(अ) = हो उत्तराई (उत्तर)1/2 पुणव्वसू(पुणव्वसु) 1/1 रोहिणी(रोहिणी) 1/1 विसाहा (विसाहा) 1/1 य (अ) = और वच्चंति (वच्च) व 3/2 सक मुहुत्ते (मुहुत्त) 1/1 तिन्नि(ति) 1/2 चेव [(च) + (एव)] च (अ) = और एव (अ) = ही वोसं* (वीस) 2/1 वि अहोरते (अहोरत्त) 1/1 * कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृतं व्याकरण, 3/137)