________________ 59 171] बिझ्यो वग्गो __"जालिस्सणं, भन्ते, देवस्स केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता?" " गोयमा, बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता”। “से णं, भन्ते, ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं 3 कहिं गच्छिहिइ२ ?" गोयमा, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ" // 168 // " एवं खलु, जम्बू , समणेणं जाव संपत्तणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमवग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते" // 169 // एवं सेसाण वि अट्ठण्हं भाणियन्वं, नवरं सत्त धारिणीसुया, वेहल्लवेहासा चेल्लणाए / आइल्लाणं पञ्चण्हं सोलस वासाइं सामण्णपरियाओ, तिण्हं बारस वासाई, दोण्हं पञ्च वासाई / आइल्लाणं पञ्चण्हं आणुपुवाए उववाओ विजए वेजयन्ते जयन्ते अपराजिए सव्वट्ठसिद्धे, दीहदन्ते सव्वट्ठसिद्ध, अणुकमेणं सेसा, अभओ विजए। सेसं जहा पढमे / अभयस्स नाणत्तं--रायगिहे नयरे, सेणिए राया, नन्दादेवी माया, सेसं तहेव // 170 // "एवं खलु, जम्बू, समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पन्नत्ते" // 171 // // पढमो वग्गो सम्मत्तो॥ II "जइ णं, भन्ते, समणेण जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं, भन्ते, वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नत्ते?" " एवं खलु, जम्बू , समणेणं जाव संपत्तेणं