________________ 60 अणुत्तरोववाइयदसासु [172 दोच्चस्स वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं तेरस अज्झयणा पन्नत्ता। तं जहादीहसेणे महासेणे लट्ठदन्ते य गूढदन्ते य सुद्धदन्ते। हल्ले दुमे दुमसेणे महादुमसेणे य आहिए // 1 // सीहे य सीहसेणे य महासीहसेणे य आहिए। पुण्णसेणे य बोद्धव्वे तेरसमे होइ अज्झयणे // 2 // " 172 // "जइ णं, भन्ते, समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पन्नत्ता, दोच्चस्स णं, भन्ते, वग्गस्स पढमज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्टे पत्नत्ते?” "एवं खलु, जम्बू” // 173 // तेणं कालेणं 2 रायगिहे नयरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, धारिणी देवी, सीहो सुमिणे / जहा जाली तहा जम्म बालत्तणं, कलाओ / नवरं दीहसेणे कुमारे / स च्चेव वत्तव्वया जहा जालिस्स, जाव अन्तं काहिइ // 173 // एवं तेरस वि रायगिहे, सेणिओ पिया, धारिणी माया। तेरसण्ह वि सोलस वासा परियाओ। आणुपुवीए विजए दोन्नि, वेजयन्ते दोन्नि, जयन्ते दोन्नि, अपराजिए दोन्नि, सेसा महादुमसेणमाई पञ्च सव्वट्ठसिद्धे // 174 // _ "एवं खलु, जम्बू, समणेणं...अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स अयमढे पन्नत्ते / मासियाए संलेहणाए दोसु वि वग्गेसु" // 175 // // बिइयो वग्गो सम्मत्तो॥ .