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________________ 26 अन्तगडदसासु [८१तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहं अरिट्ठनमि एवं वयासी"अहं णं, भन्ते, इओ कालमासे कालं किच्चा कहिंगमिस्सामि, कहिं उववजिस्सामि ?" तए णं अरहा अरिट्ठनेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-“एवं खलु, कण्हा, बारवईए नयरीए सुरग्गिदीवायणकोवनिद्दड्डाए अम्मापिइनियगविप्पहूणे रामेण बलदेवेण सद्धिं दाहिणवेयालिं अभिमुहे जुहिट्ठिलपामोक्खाणं पञ्चण्हं पण्डवाणं पण्डरायपुत्ताणं पासं पण्डुमहुरं संपत्थिए कोसम्बवणकाणणे नग्गोहवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टए पीयवस्थपच्छाइयसरीरे जरकुमारेणं तिक्खणं कोदण्डविप्पमुक्केणं इसुणा वामे पाए विद्धे समाणे कालमासे कालं किच्चा तञ्चाए वालुथप्पभाए पुढवीए उज्जलिए नरए नेरइयत्ताए उववजिहिसि" // 81 // तए णं कण्हे वासुदेवे अरहओ अरिट्टनेमिस्स अन्तिए एयमटुं सोचा निसम्म ओहय जीव झियाइ / “कण्हा' इ अरहा अरिटनेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-" मा णं तुम, देवाणुप्पिया, ओहय जाव झियाहि / एवं खलु, तुमं, देवाणुप्पिया, तच्चाओ पुढवीओ उजलियाओ अणन्तरं उव्यट्टित्ता इहेव जम्बुद्दीवे भारहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए पुण्डेसु जणवएसु सयदुवारे बारसमे अममे नामं अरहा भविस्ससि। तत्थ णं तुम वहूई वासाई केवलपरियागं पाउणित्ता सिज्झिहिसि 5" // 82 // तए णं से कण्हे वासुदेवे अरहओ अरिटुनमिल्स अन्तिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ट अप्फोडेइ, २वग्गइ, 2 तिवई छिन्दइ, 2 सीहनायं करेइ, 2 अरहं अरिट्टनेमि वन्दइ नम 1 Com. p. कासम्ब
SR No.004350
Book TitleAntgadadasao evam Anuttaravavaidasao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherP L Vaidya
Publication Year1932
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_antkrutdasha, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size8 MB
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