________________ 80] पञ्चमो वग्गो तए णं कण्हे वासुदेवे अरहं अरिटनेमि वन्दइ नमसइ, 2 एवं वयासी-"इमासे णं, भन्ते, बारवईए नयरीए नवजोयण जाव देवलोगभूयाए किंमूलागे विणासे भविस्सइ ?" " कण्हा" इ अरहा अरिहनेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी"एवं खलु, कण्हा, इमीसे बारवईए नयरीए नवजोयण जाव भूयाए सुरग्गिदीवायणमूलागे विणासे भविस्सइ" // 77 // . कण्हस्स वासुदेवस्स अरहओ अरिटुनोमिस्स अन्तिए एयं सोचा निसम्म एवं अब्भत्थिए 4 समुप्पजित्था-"धन्ना णं ते जालिमयालिपुरिससेणवारिसेणपजुन्नसम्बअणिरुद्धदढनेमिसच्चनेमिप्पभिईओ कुमारा, जे णं चइत्ता हिरण्णं जाव परिभाएत्ता अरहओ अरिहनेमिस्स अन्तियं मुण्डा जाव पब्वइया / अहं ण अधन्ने अकयपुण्णे रजे य जाव अन्तेउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेषु मुच्छिए 4 नो संचाएमि अरहओ अरिष्टनेमिस्स जाव पच्चइत्तए' // 78 // "कण्हा" इ अरहा अरिटनेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी" से नूणं, कण्हा, तब अयम भास्थए ४-'धन्ना णं ते जाव पव्वइत्तए ? ' से नृणं, कण्हा, अटे समझे ?" ..." हन्ता, अत्यि" / “तं नो खलु, कप्हा, तं एवं भूयं वा भव्वं वा भविस्सइ वा, जं णं वासुदेवा चइत्ता हिरणं जाव पब्वइस्सन्ति” “से केणटेणं, भन्ते, एवं बुच्चइ न एयं भूयं वा जाव पव्वइस्सन्ति ?" // 79 // "कण्हा" इ अरहा अरिटुनेमी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी“एवं खलु, कण्हा, सब्वे वि य णं वासुदेवा पुन्वभवे निदाणकंडा / से एएण?णं, कण्हा, एवं वुच्चइ न एयं भूयं...... पव्वइस्सन्ति" // 80 //