________________ अन्तगडदसासु [७३नवरं जम्बवई माया। एवं अणिरुद्ध वि, नवरं पजुन्ने पिया वेदब्भी माया।एवं सच्चनेमी, नवरं समुद्दविजए पिया. सिवा माया / एवं दढनेमी वि / सव्वे एगगमा // 73 // निक्लेवओ॥ // चउत्थो वग्गो सम्मत्तो // 4 // "जइ णं, भन्ते, समणेणं जाव संपत्तेणं चउत्थस्स वग्गस्स अयमढे पन्नत्ते, पञ्चमस्स वग्गस्स अन्तगडदसाणं समणणं जाव संपत्तेणं के अटे पन्नत्ते?" "एवं खलु, जम्बू, समणेणं जाव संपत्तेणं पञ्चमस्स वग्गस दस अज्झयणा पन्नत्ता। तं जहापउमावई य गोरी गन्धारी लक्खणा सुसीमा य / जम्बवइ सच्चभामा रुप्पिणि मूलसिरि मूलदत्ता वि // 1 // " "जइ णं,भन्ते, पञ्चमस्स वग्गस्से दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं, भन्ते, अज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते ?" " एवं खलु, जम्बू," // .74 // तेणं कालेणं 2 बारवई नयरी / तीसे, जहा पढमे, कण्हे वासुदेवे...आहेवच्चं जाव विहरइ / तस्स णं कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावई नामं देवी होत्था। वण्णओ / तेणं कालेणं 2 अरहा अरिट्ठनेमी समोसढे जाब विहरइ / कण्हे वासुदेवे निग्गए जाव पजुवासइ // 75 // तए णं सा परमावई देवी इमीसे कहाए लद्धट्टा समाणी हट्ट', जहा देवई, जाव पन्जुवासइ / तए णं अरहा अरिटुनेमी कण्हस्स वासुदेवस्स पउमावईए य...। धम्मकहा / परिसा पडिगया // 76 //