________________ अन्तगडदसासु [१३तए णं से गोयमे अणगारे अन्नया कयाइ जेणेव अरहा अरिटुनेमी तेणेव उवागच्छइ। 2 अरहं अरिट्ठनोमि तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ / 2 एवं वयासी-" इच्छामि णं, भन्ते, तुब्भेहिं अब्भणुनाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए"। एवं जहा खन्दओ तहा बारस भिक्खुपडिमाओ फासेइ, 2 गुणरयणं पि तवोकम्मं तहेव फासेइ निरवसेसं / जहा खन्दओ तहा चिन्तेइ, तहा आपुच्छइ, तहा थेरेहिं साद्धं सेत्तुजं दुरुहइ / मासियाए संलेहणाए बारस वरिसाइं परियाए जाव सिद्धे 5 // 13 // "एवं खलु, जम्बू, समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अङ्गस्स अन्तगडदसाणं पढमवग्गपढमअज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते" // 14 // एवं जहा गोयमो तहा सेसा / वहि पिया, धारिणी माया। समुद्दे सागरे गम्भीर थिमिए अयले कम्पिल्ले अक्खोभे पसेणई वण्ही, एए एगगमा // 15 // // पढमो वग्गो सम्मत्तो॥१॥ II उक्खेवओ // 2 // 1 // तेणं कालेणं 2 बारवईए नयरीए वहि पिया, धारिणी माया। अक्खोभ सागरे खलु समुद्द हिमवन्त अयलनामे य / धरणे य पूरणे वि य अभिचन्दे चेव.अट्ठमए // 1 // 16 // जहा पढमो वग्गो तहा सव्वे अट्ट अज्झयणा / गुणरयण