________________ तत्त्वसार योगचतुष्टयम्-औदारिकौवारिकमिभकामणवचनसंज्ञम् 4 / वेदमध्ये नपुंसकमेकम् 5 / कषायमध्ये कषायास्त्रयोविंशतिः स्त्रीविना ६ज्ञानमध्ये कुमति-कुभुती द्वे७। संयममध्य एकाऽसंयमः 8 / दर्शनमध्ये अचक्षुदर्शनमेकम् / 9 / लेश्या कृष्णादित्रयम् 10 / भव्याभव्यद्वयम् 11 / सम्यक्त्वषट्कमध्ये मिथ्यात्वमेकम् 12 / संज्यसंशिमध्ये असंज्ञिरेव 13 / आहारकत्वमेकम् 14 / गुणस्थानमेकम् 15 / जीवसमासमध्ये त्रीन्द्रियजीवसमासः 16 / पर्याप्तिपञ्चकं मनो विना 17 / प्राणाः सप्त-इन्द्रियद्वयमनोभ्यां विना 18 / संज्ञाचतुष्टयम् 19 / उपयोगत्रयम्-कुमतिकुश्रुत्यचक्षुरिति 20 / ध्यानाष्टकम्-आतरौद्ररूपम् 21 / प्रत्ययाणामेकचत्वारिंशत्-मिथ्यात्व 5 अविरति 9 कषाय 23 योग 4 इति 22 / जातिलक्षद्वयं त्रीन्द्रियसम्बन्धि 23 ।कुलकोटीमध्ये लक्षाष्टकं भवति त्रीन्द्रियाणाम् 24 / इति श्रीन्द्रियजातिः। अथ चतुरिन्द्रियजातिः कथ्यते / तद्यथा-चतुरिन्द्रियजातो तिर्यग्गतिरेके वभवति 1 / जातिश्चतुरिन्द्रियाख्या २॥षटकायमध्ये त्रसकायः३।योगमध्ये चत्वारो योगा:-औदारिकौदारिकमिश्रकार्मणानुभयवचनसंज्ञकाः 4 / वेदमध्ये नपुंसकलिङ्गम् 5 / कषायमध्ये कषायाः 16 नोकषायाः 6 / नपुंसकवेदः 6 / ज्ञानमध्ये 2 कुमति-कुश्रुती 7 / संयममध्येऽसंयमः एकः 8 / दर्शनमध्ये चक्षुरचक्षुर्दशनद्वयम् 9 / लेश्यामध्ये कृष्ण-नील-कापोतत्रयम् 10 / भव्याभव्यद्वयम् 11 / सम्यक्त्वमध्ये मिथ्यात्वमेकम् 12 / संशिमध्येऽसंज्ञी 13 / आहारकमध्ये आहारक एक एव 14 / गुणयोगोंमेंसे औदारिकयोग, औदारिकमिश्रयोग, कार्मणयोग और वचन योग ये चार योग हैं 4 / तीन वेदोंमेंसे एक नपुंसकवेद है 5 / पच्चीस कषायोंमेंसे स्त्री और पुरुषवेदके बिना तेईस कषाय हैं 6 / आठ ज्ञानोंमेंसे कुमति और कुश्रुत ये दो ज्ञान है 7 / संयममार्गणामेंसे एक असंयम है 8 / दर्शनमार्गणामेंसे एक अचक्षुदर्शन है 9 / लेश्यामार्गणामेंसे कृष्णादि तीन अशुभ लेश्याएं हैं 10 / भव्यमार्गणामेंसे भव्य और अभव्य दोनों हैं 11 / छह सम्यक्त्वोंमेंसे एक मिथ्यात्व है 12 / संज्ञी-असंज्ञीमेंसे एक असंज्ञित्व है 13 / आहारक मार्गणामेंसे एक आहारकत्व है 14 / गुणस्थानोंमेंसे एक मिथ्यात्व है 15 / जीवसमासोंमेंसे एक त्रीन्द्रियजीवसमास है 16 / मनके बिना शेष पांच पर्याप्तियां हैं 17 / अन्तिम दो इन्द्रियां और मनके बिना शेष सात प्राण हैं 18 / संज्ञाएं चारों हैं:१९ / कुमति, कुश्रुत और अचक्षुदर्शन ये तीन उपयोग हैं 20 / आर्त और रौद्ररूप आठ ध्यान हैं 21 / बन्धप्रत्ययोंमेंसे मिथ्यात्व 5, अविरति 9, कषाय 23, और योग 4 ये इकतालीस बन्धप्रत्यय हैं 22 / त्रीन्द्रियसम्बन्धी दो लाख जातियां हैं 23 / कुलकोटियोंमेंसे त्रीन्द्रियोंके आठ लाख, कुलकोटियां हैं 24 / इस प्रकार त्रीन्द्रियजातिका वर्णन कया। ___अब चतुरिन्द्रिय जातिका वर्णन करते हैं / यथा-चतुरिन्द्रियजातिमें एक तिर्यग्गति होती है 1 / पांच जातियोंमेंसे एक चतुरिन्द्रियजाति है 2 / छह कायोंमेंसे एक त्रसकाय है 3 / पन्द्रह योगोंमेंसे औदारिककाययोग, औदारिकमिश्रयोग, कार्मणयोग और अनुभयवचन योग ये चार योग हैं 4 / तीन वेदोंमेंसे एक नपुंसकलिंग है 5 / कषायमार्गणामेंसे सोलह कषाय, छह नोकषाय, एक नपुंसकवेद ये तेईस कषाय हैं 6 / ज्ञान मार्गणामेंसे कुमति और कुश्रुत ये दो ज्ञान हैं 7 / संयममार्गणामेंसे एक असंयम हैं 8 / दर्शनमार्गणामेंसे चक्ष और अचक्ष ये दो दर्शन हैं 9 / लेश्यामार्गणामेंसे कृष्ण, नील और कापोत ये तीन अशुभलेश्याएं हैं 10 / भव्यमार्गणामेंसे भव्य और अभव्य दोनों हैं 11 / सम्यक्त्वमार्गणामेंसे एक मिथ्यात्व है 12 / संज्ञिमार्गणामेंसे एक असंज्ञित्व है 13 / आहारक