________________ तत्वसार पटलमेकम् 1 / तासु सप्तसु भूभीसु बिलानि चतुरशीतिलंक्षाः 8400000 / कथं भवन्तीति क्रमेण कथ्यते-प्रथमभूमौ बिलानि त्रिशल्लक्षाः 3000000 / एतेषां मध्ये इलाकास्त्रयोदश 13 / श्रेणिबद्धानि चतुश्चत्वारिंशच्छतानि विशत्यषिकानि 4420 / शेषाणि मिश्ररूपाणि 2995567 / कापोतलेश्याया जघन्यभागो जघन्यायुवर्षदशसहस्राणि 10000 / उत्कृष्टायुरेकसानरोपमम् / जघन्योत्सेधो नारकाणां त्रयो हस्ताः 3 / उत्कृष्टतः सप्तपषि 7 हस्तास्त्रयः 3 अङ्गलानि षट् 6 तेषामवधिश्चत्वारः क्रोशाः 4 / इति प्रथमभूमिविशेषः समाप्तः।। अथ द्वितीयशर्कराप्रभायां बिलानि पञ्चविंशतिलंक्षाः 2500000 / इन्द्रका एकादश 11, श्रेणिबद्धानि षड्विंशतिशतानि चतुरशीत्यषिकानि 2684 / हरितानि मिथाणि 2497305 / मध्यमा कापोतलेश्या / जघन्यायुः सागरोपमप्रमाणं विसागरोपमप्रमाणमुत्कृष्टम् / जघन्योत्सेवः पूर्वोक्तः स एव / तस्योत्कृष्ट उत्सेधो द्विगुणः। तेषामवाषिः सापकोशत्रयम् / इत्येकरज्जुमध्ये द्वै भूमि स्तः 2 / . . अथ द्वितीयरज्जूमध्ये तृतीयभूमिस्तस्यां बालुकाप्रभाल्यायां भूमौ बिलानि पञ्चदश लक्षाः 1500000 / एतेषां मध्ये नवेन्द्रकाः 9 / श्रेणीबद्धानि चतुर्दश शतानि बट्सप्तत्यषिकानि 1476 / इतराणि पुष्पप्रकीर्णकमिश्रसंज्ञानि 1498515 / उत्कृष्टा कपोतलेश्या, जघन्यांशा नोललेश्या। हैं 5 / छठी भूमिमें तीन पटल हैं 3 / और सातवीं भूमिमें एक पटल है 1 / उन सातों ही भूमियोंमें चौरासी लाख बिल हैं 8400000 / ___ वे बिल (नारकियोंके रहनेके स्थान) किस प्रकारसे किस भूमिमें कितने हैं ? यह क्रमसे कहते हैं-प्रथम भूमिमें तीस लाख बिल हैं 3000000 / इनके मध्य में इन्द्रक नामके तेरह बिल हैं। श्रेणीबद्ध (दिशा-गत) बिल बीस अधिक चवालीस सौ 4420 हैं। शेष मिश्ररूप बिल 2995567 हैं / पहिली नरक भूमिमें कापोत लेश्याका जघन्य भाग है / जघन्य आयु दश हजार वर्ष की है 10000 / उत्कृष्ट आयु एक सागरोपम है / यहांके नारकियोंके शरीरकी जघन्य ऊंचाई तोन हाथ है और उत्कृष्ट ऊंचाई सात धनुष 7, तीन हाथ 3, छह अङ्गुल 6 है। उनका अवधिज्ञान चार कोश प्रमाण है 4 / इस प्रकार प्रथम भूमिका विशेष वर्णन किया। अब दूसरी भूमिका वर्णन करते हैं दूसरी शर्कराभूमिमें बिल पच्चीस लाख हैं 2500000 / उनमें इन्द्रक बिल ग्यारह हैं 11 / श्रेणिबड बिल चौरासी अधिक छब्बीस सौ 2684 हैं / शेष मिश्ररूप बिल 2497305 हैं। दूसरी भूमिके नारकियोंके मध्यम कापोतलेश्या है / उनकी जघन्य आयु एक स गरोपम प्रमाण है और उत्कृष्ट आयु तीन सागरोपमप्रमाण है। यहांके नारकियोंके शरीरकी जघन्य ऊंचाई पूर्वोक्त 7 धनुष, / हाथ और छह अङ्गल है / तथा उत्कृष्ट ऊंचाई जघन्य से दुगुनी अर्थात् 15 धनुष, 2 हाथ 12 अङ्गल है। यहांके नारकियोंका अवधिज्ञान साढ़े तीन कोश प्रमाण है / पहिली और दूसरी ये दो भूमियां एक राजुके भीतर हैं। ___ अब दूसरी राजुके मध्यमें जो तीसरी वालुकाप्रभानामकी भूमि है, उसमें पन्द्रह लाख बिल हैं 1500000 / इनके मध्यमें नौ इन्द्रक बिल हैं 9 / श्रेणीबद्ध बिल छिहत्तर अधिक चौदह सौ 1476 हैं। शेष पुष्पप्रकीर्णक नामवाले बिल चौदन लाख अठ्यानवे हजार पांच सौ पन्द्रह 1498515 हैं / इस तीसरी नरकभूमिमें उत्कृष्ट कापोत लेश्या और नील लेश्याका जघन्य अंश