________________ तत्त्वसार लाभ उतालाभो वा लाभश्च अलाभश्च लाभालाभौ, तयोर्लाभालाभयोः। पूर्वोपाजितशुभाशुभकर्मफलभूतयोः भेवज्ञानप्रभावाद हर्ष-विषावाभावाच्च य एव समानः स समचित्तो योगी। 'सुह'दुक्खे जोविए मरणे' तथा च शुभाशुभकर्मजातयोः सुख-दुःखयोः, आयुःकर्मोदय-क्षयोत्पन्नयोः जीवित-मरणयोः, तथैव सम्भूतयोः 'बंधु-अरियणसमाणो बन्ध्वरिजनयोः सतोः सदृशः समानमाना राग-द्वेषाधभावात् / एवं गुणविशिष्टो योगी योगो विद्यते यस्यासौ योगी। अस्य व्युत्पत्तिः क्रियतेयुजित योगो यः कर्ता आत्मनि आत्मना आत्मने निमित्तं ात्मनः सकाशाद आत्मानं युनक्तीत्येवं शोलो योगो / उक्तं च साम्यं स्वास्थ्यं समाधिश्च योगश्चेतोनिरोधनम् / शुद्धोपयोग इत्येते भवन्त्येकार्थवाचकाः // 20 // 'झाणसमत्थो हु सो जोई स एव पूर्वोक्तो हि योगी हु स्फुटं ध्यानसमर्थो भवतीति क्रियाध्याहारः क्रियते / इति साम्यमाहात्म्यं ज्ञात्वा तज्जैभव्यजनैरुपादेयबुद्धचा स एव साम्यभावो निरन्तरं भावनीयो भवतीति भावार्थः // 11 // हैं-'लाहालाहे सरिसो' इत्यादि, भोजनादिका लाभ हो, अथवा लाभ न हो, क्योंकि ये लाभ और अलाभ दोनों ही पूर्वोपार्जित शुभ और अशुभ कर्मके फलरूप हैं, उनमें जो भेद-विज्ञानके प्रभावसे और हर्ष-विषादके अभावसे समान रहता है, वह समचित्त योगी 'सुह-दुक्खे' इत्यादि, शुभ-अशुभ कर्मके उदयसे प्राप्त हुए सुख-दुःखमें, तथा आयुकर्मके उदयसे प्राप्त जीवनमें और उसके क्षयसे प्राप्त मरणमें, तथा उसी प्रकार पुण्य-पापके उदयसे प्राप्त हुए बन्धुओं और शत्रुओंमें राग-द्वेष आदि के अभावसे समान भाव रखता है, इस प्रकारके गुणोंसे युक्त विशिष्ट योगी ध्यान करने में समर्थ होता है। 'युज' धातु युक्त या संलग्नताके अर्थवाली है। अतः योग शब्दका अर्थ संलग्नत है। वह योग जिसके पाया जावे, उसे योगी कहते हैं। ऐसा योगीरूप कर्ता अपने आत्मामें, अपने आत्माके द्वारा, अपने आत्माके निमित्त आत्मासे आत्माको जोड़ता है, इस प्रकारके शील-स्वभाववाला व्यक्ति योगी कहलाता है। कहा भी है साम्य, स्वास्थ्य, समाधि, योग, चित्त-निरोध, और शुद्धोपयोग ये सब शब्द एक ही अर्थके वाचक हैं॥२०॥ 'झाणसमत्थो हु सो जोई' वही पूर्वोक्त योगी स्फुट रीतिसे सम्यक् प्रकार ध्यान करनेमें समर्थ होता है। यहां पर 'भवति' इस क्रियाका अध्याहार किया गया है। इस प्रकारका साम्यभाव या योगका माहात्म्य जानकर योगके जानकार भव्यजनोंको उपादेय बुद्धिसे वही साम्यभाव निरन्तर भावना करनेके योग्य है, यह इस गाथाका भावार्थ है // 11 //