________________ तत्त्वसार द्वितीय पर्व निर्विकल्परूप स्वगत तत्त्वके ध्यान करनेकी प्रेरणा निर्ग्रन्थ श्रमणका स्वरूप सुख-दुःखादिमें समभावी योगीका स्वरूप मोक्षके लिए आवश्यका सामग्रीका निरूपण उत्तम सामग्री प्राप्त होनेपर भी ध्यानके विना अभीष्ट सिद्धि नहीं होती पंचम कालमें ध्यानका निषेध करने वाले पुरुषोंका स्वरूप ध्यानका निषेध करनेवालोंको ग्रन्थकारका उत्तर राग-द्वेषादिका त्यागकर आत्म-ध्यानके अभ्यास करनेकी प्रेरणा आत्माके स्वरूपका वर्णन एकाग्र होकर ध्यान करनेकी प्रेरणा निरंजन आत्माका स्वरूप शुद्ध आत्मा मार्गणा, गुणस्थान, जीवस्थानादिके विकल्पोंसे रहित है चौदह मार्गणाओंके नाम गति मार्गणाके अन्तर्गत प्रथम नरकभूमिका वर्णन दूसरी नरकभूमिका वर्णन * तीसरी नरकभूमिका वर्णन चौथी नरकभूमिका वर्णन पाँचवीं नरकभूमिका वर्णन छठी नरकभूमिका वर्णन सप्तम नरकभूमिका वर्णन सातों भूमियों शरीरिकादि एवं शीत-उष्णतादिके दुःखोंका वर्णन . कौनसे जीव किस नरकमें उत्पन्न होते हैं ? किस नरकसे निकले जीव किस-किस अवस्थाको प्राप्त कर सकते हैं ? तिर्यग्गति मार्गणाका वर्णन मनुष्यगति मार्गणाका वर्णन देवगति मार्गणाके अन्तर्गत चारों जातिके देवोंका विस्तृत वर्णन इन्द्रिय मार्गणाके अन्तर्गत एकेन्द्रियोंके चौबीस स्थानोंका वर्णन द्वीन्द्रिय जीवोंके चौबीस स्थानोंका वर्णन श्रीन्द्रिय जीवोंके चौबीस स्थानोंका वर्णन चतुरिन्द्रिय जीवोंके चौबीस स्थानोंका वर्णन पंचेन्द्रिय जीवोंके चौबीस स्थानोंके जाननेकी सूचना शेष मार्गणा स्थानोंके जाननेका निर्देश / शुद्ध निरंजन आत्मा स्पर्श रसादि पुद्गल धर्मोसे रहित है