________________ तत्त्वसार सति, तथाविषवचनात्मकरूपेणैवमेवं करोमोति विकल्पमं वचः, तवयानुसारेण प्रवृत्तिरूपः काय इति मनश्च वचश्च कायश्च मनोवचःकायास्तेषां मनोवःकायानां व्यापार इत्याध्याहारः क्रियते, इति मनोवचनकायव्यापारस्तस्मिन् निरोधे सति किं भवति ? 'बज्मइ कम्माण मासवो णणं' नूनं निश्चयेन वध्यते विनश्यते वाध्यते निराक्रियते वाऽसावासवः। (रजाई' पाठे रुष्यते निराक्रियते इत्यर्थः)। केषामानवः ? कर्मणाम् / कथम्भूतानाम् ? मिथ्यात्व-रागाद्यज्ञानभावेन स्वयमुपार्जितानामुक्यागतानां च कर्मणामालवाभावो भवतीत्यर्थः। तथा च 'चिर-बद्धं गलइ सयं फलरहियं जाइ जोईणं' चिरकालसंचितं बद्ध कर्मजातं स्वयमेव गलति नश्यति / कथं किमिव ? व्यापार होने पर, उसी प्रकार वचनात्मकरूपसे ही 'मैं ऐसा करूं' इस प्रकारके विकल्पको वचन योग कहते हैं, उसके होनेपर, तथा इन दोनोंके अनुसार शारीरिक प्रवृत्तिको काययोग कहते हैं। इस प्रकारके मन और वचन और कायका समास या समुदाय मन-वचन-काय कहलाता है / यहां पर 'व्यापार' पदका अध्याहार करना चाहिए। तब यह अर्थ होता है कि मन वचन कायके व्यापारका निरोध होनेपर। . प्रश्न-क्या होता है ? उत्तर-'रुज्झइ कम्माण आसवो Yणं' अर्थात् कर्मोंका आस्रव निश्चयसे बन्द हो जाता है, विनष्ट हो जाता है, अथवा बन्द कर दिया जाता है अर्थात् रोक दिया जाता है। टीकाकारके सामने 'बज्झइ' और 'रुज्झई' ये दो पाठ रहे हैं। ऊपरका अर्थ 'बल्झई' पाठका किया गया है। 'रुज्झइ' पाठका अर्थ रोक दिया जाता है अर्थात् निराकृत कर दिया जाता है। प्रश्न-किनका आस्रव रोक दिया जाता है ? उत्तर-कर्मोका। प्रश्न-वे कर्म कैसे हैं ? उत्तर-मिथ्यात्व और रागादि अज्ञानभावसे उपार्जित हैं और उदयागत हैं। .. मन-वचन-कायके रुकने पर ऐसे कर्मोके आस्रवका अभाव हो जाता है / तथा 'चिर-बद्ध गलइ सयं फलरहियं जाइ जोईणं' अर्थात् चिरकाल-संचित अर्थात् बंधा हुआ कर्म-समूह स्वयं ही गल जाता है-नष्ट हो जाता है प्रश्न-किसके समान कैसे गल जाता है ? उत्तर-पके हुए आम आदि फलोंके समान स्वयं गल जाता है अर्थात् झड़ जाता है, क्योंकि उसके आलम्बनका अभाव हो जाता है। आलम्ब डंठल और आलम्ब्य फल इन दोनोंका एक आश्रय होता है। इसलिए वे कर्म फल-रहित हो जाते हैं, अर्थात् अपने शुभ-अशुभ-फल-प्रदान करनेकी असामर्थ्यको प्राप्त हो जाते हैं। प्रश्न-कौन शुभाशुभ फल प्रदानकी असामर्थ्यको प्राप्त हो जाते हैं ? उत्तर-चिरकालसे बंधे हुए कर्म-समूह / प्रश्न-किनके ? , उत्तर-योगियोंके।