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________________ गयावततरङ्गिणी परजिनीवनिम्या समतो भयोपो।। बाराः, गाथादिकम् / 147 बाढं सन्ति 148 बालादिभाव० 149 बीजमीदं परमं यत् 15. बीजस्स वि संपत्ती 151 बीजाइआ य एए. 152 बुद्धाद्वैतस्वतत्त्वस्य. 153 बुद्धिकर्मेन्द्रिय 154 बुद्धिरूपलब्धि. . 155 ब्रह्मविदाप्नोति परं / 156 भणिता अकरिता य० 157 भवति च खलु प्रतिष्ठा. 158 भावं चिय सद्दहणया 159 भावो विवक्षित. 16. भूतस्य भाविनो वा. 161 मेदप्राहिव्यवहृति० 162 मग्गण-गुणठाणेहि य. 163 मध्नामि कौरवशतं० 164 मनोबुद्धिरहङ्कार. 165 मन्वन्तरं तु. 166 मासमनिहोत्रं 167 मुक्तयादौ 168 मूलप्रकृति 169 - मूढनइ सुअं. 17. मोक्षाश्रम. 171 यजेत. 172 यज्ञेन दानेन 173 यस्करोषि. 174 यत् तु तदर्थ 175 यथा विशुद्धा. 176 यदप्रमेव० 177 यदाहवनीये. 178 मदाहि नेन्द्रिया० 159 यद् भाषितं. 180 अद्यद्धि कुरुते. 181 यवेकस्मिन्न सम्भवति. 181 पद वस्तुनोऽभिधानं० 183 मा दुःखेन. 184 यक यया भवेत्। स्थलम्, पृष्ठम् , पशिः [पञ्चदश्यां 336, 15 [षोडशकप्रकरणे 246, . 286, 2 [बीजादिविंशिकायाम्-६] [बीजादिविशिकायाम्-८] 265, 15 [पञ्चदश्या 242, 3 319, 16 348, 29 [ तैत्ति० 2. 1. 1. भस्मजा 2. . ] [उत्तराध्ययन 249, 4 286, 1 [विशेषा० भाष्य गा०] 251, 3, 257, 266, 1. 262, 1 [ ज्ञानबिन्दौं 362, 31 [द्रव्यसंग्रहे गा. 13] 209, . [ वेणीसंहारे ] 273, 29 316, 37 [ . 316, 21 325, 4 287, [आवश्यके गा० 762] 245, 1 398, 337, [ भगवद्वीता, अ० 1, श्लो. 27] 332, 261, 298, 328, 325, 4 242, 25 [गीता [पोरशकप्रकरणे [स्मृति [ तत्त्वार्थ. अ. सू.] 243, 8 270, 2 258, 12 337, 32 315, 3
SR No.004344
Book TitleNayopdesh Part 02 Tarangini Tarni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani, Lavanyasuri
PublisherVijaylavanyasuri Gyanmandir
Publication Year1956
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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