________________ नयामतीणीपाकीतानियो ने क्योपदेशः / स्थलम्, पृष्ठम्, पहिः . 319, 12 319, 37 [ तत्त्वविवेकगतपy [सम्मति० काण्ड० गा.] [सम्मति० का० गाथा ] 253, 294, 3 8 264, [आवश्यके गा. 1535] [आवश्यके गा० 1536] [गौतमसूत्र 3. 408, 15 . 255, 6 312, 34 [प्रमाण. परि० सू०८] [ऋ० सं० 8. 8. 3.] [बृहदारण्यकोपनिषद् 4. 4. 6J [ बृहदारण्यकोपनिषद् 4. 3. 23] [गीता, अ० 3, श्लो० 22] महास, गाथादिकम; 1.9 तैः सर्वेः 110 तैरण्डस्तत्र भुवनं 111 तैरन्तःकरणं सई० 112 दना जुहोति 113 दबटिओत्ति. 114 दबट्ठियणपयडी. 115 दर्श-पौर्णमासाभ्यां 116 द्विधा विधाय. 117 दुहबोऽणन्तरभवियं० 118 दुहबोऽणन्तररहिया. 119 दुःखजन्मप्रवृत्ति 12. दोषपतिर्मतिज्ञाना. 121 धर्मयोर्मिणो० 122 ध्रुवा द्यौर्धवा० 123 न तस्य प्राणाः 124 न तु तद् द्वितीय 125 न मे पार्थास्ति कर्तव्यं० 126 नवा पत्युः कामाय० 127 नान्यः पन्था विद्यते। 128 नाभुकं क्षीयते कर्म० 129 नाम-स्थापना 13. नास्त्यकृतः कृतेन 131 निषादस्थपति० 132 नेह नाना 113 नैगमोऽशुद्ध. 134 न्यावागतधन० 135 पतिजायादिकं सर्व 136 परिज्ञानाद् भवेन्मुक्ति. 137 पुरोहितं वृणीत 138 पूर्वः पूर्वो नयः 139 प्रकृतेः क्रियमाणानि० 14. प्रतियोगिपदादन्यद् 141 प्रमाण-नयसङ्गता० 142 प्रसव सदसत्त्वयो। 143 प्राचां वाचा. 144 प्राक्षे कर्मणि नानेको 145 फसवत्सन्निधा. 146 बहु निगद्य किमत्र. [ श्वेता० 3, 86, 15] [तत्त्वार्थ० अ० 1 सू. 5] [मुण्ड० 1. 2. 12.] ] 222, 1. 312, 39 404 24 318, 17 405, 9 340, 19 254, 20 - . 405, 9 321, 14 312, 21 357, 12 400, 318, 15 [सम्मतिवृत्ति 1 [तृप्तिदीपप्रकरणगतं पचं] 3." 321, [गीता, अ० श्लो [शानबिन्दु [शानबिन्दु [शानबिन्दु 350, 5 323, 12 363, 20 363, 18 362, 29 . .. 320, ... 14, 5 विशारीरके