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________________ नयापुततरङ्गिणी-परजिवीतरणिम्यां समहतो नवोपरया / स्थलम्, [आवश्यकभाष्ये गा० 233] पृष्ठम्, पक्तिः . 263, 7 413, 3 [सम्मति० तु. का. गा० 4] - 328, 2 361, . 311, 29 265, . . 361, 13 356, 3 [ शक्रस्तवे [सम्मति. का. गा० 53 ] [दशाचूर्णी س م [बीजादिविंशतिकायाम् ] [ पूजाविधिर्विशिका-१३] [विशेषावश्यके गा० 2227] [ बीजादिविंशिकायाम्-] महाः, घाथादिकम् / 1 जे तु पुरक्खडभावं. 72 जम्हा सण-नाणा० 73 जं सम्मति पासहा. 74 जातपुत्रः कृष्ण 75 जावइया वयणपहा 76 जीव ईशो विशुद्धा चित् 77 जे अ अईआ सिद्धा. 78 जे पज्जवेसु णिदिट्ठा 79 जे वयणिज्जवि० जो अकिरियावाई 81 जो तुलंसाहणाणं 82 जो दिग्वेण.. 83 ठंडिल्ले विय एसा० 84 णत्ति नएहिं. 85 गय एअम्मि० 86 जाऊण. 87 णामाइतियं. 88 णिच्छयमव. 89 णिच्छियणयस्स 9. णियमा जिणेसु० 91 तत्त्वमसि 92 तत्त्वमस्यादि. 93 तत्प्रेमात्मार्थ 94 तथैदममलं ब्रह्म 95 तदूर्द्ध बाध्यते देवं. 96. तद् भोगाय पुन०. 97 तन्दुलस्य यथा चमे 98 तपसा कल्मषं हन्ति 99 तमः प्रधानप्रकृते. 1.0 तमेतं वेदानुवचनेन. 1.1 तमेव विदित्वा 102 तमोपगम. 1.3 तरति शोकमात्मवित् 104 तस्मात् तत्प्राप्तये. 1.5 तहमव्वत्तं जं काल 1.6 ताबदेवास्य चिरं. 107 विकाले चदुपाणा. 1.8 तिल्पयरगुणा. 375, 380, 1 284, 4 245, 4 266, . 2 412, 3 . 254, 2 24, 2 413, 12. 282, 7 242, . 1 [विशेषा० भाष्यगा० 75 ] [ओपनियुक्ति [आवश्यके गा० 1148] بنانا 318, .. 298, . 381, . 5 319, 24. 415, 8 [पञ्चदश्यां [बृहदारण्यकोपनिषद् 4, 4, 22] 318, 29 324, 1 324, .11 363, 16 405, 400, [ ज्ञानबिन्दौ [छां. 7. 1.3] [विष्णुपुराणे [बीजादिविंशतिकायाम] [ द्रव्यसंग्रहे गाथा-३] [बावश्यके गा० 1142] 208, 10 ...... 279, 6
SR No.004344
Book TitleNayopdesh Part 02 Tarangini Tarni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani, Lavanyasuri
PublisherVijaylavanyasuri Gyanmandir
Publication Year1956
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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